बंटवारे के समय जब भारत ने पाकिस्तान से जीती थी ये शाही बग्गी, दिलचस्प है कहानी
आपने गणतंत्र दिवस, बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम से लेकर संसद के संयुक्त अधिवेशन के दौरान राष्ट्रपति को एक शाही बग्घी से आते देखा होगा. सोने की यह रॉयल बग्घी अपने आप में काफी खास है.
भारत में संविधान लागू होने के बाद 1950 में हुए पहले गणतंत्र दिवस समारोह में देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद बग्घी पर ही सवार होकर गणतंत्र दिवस समारोह में पहुंचे थे.
आजादी से पहले वायसराय और आजादी के बाद के कई साल तक देश के राष्ट्रपति इस शाही बग्घी की सवारी करते आए हैं.
यह बग्घी देखने में जितनी शाही नजर आती है उसे पाकिस्तान से जीतने की कहानी उतनी ही दिलचस्प है. भारत ने इस बग्घी को पाकिस्तान से टॉस में जीता था.
1947 में जब देश आजाद हुआ तो भारत और पाकिस्तान के बीच हर चीज का बंटवारा हुआ. दोनों देशों के बीच जमीन से लेकर सेना और अन्य सभी चीजों को बंटवारा होना था. इसके लिए नियम भी तय किए जाने थे.
बंटवारे के समय भारत के प्रतिनिधि एच. एम. पटेल और पाकिस्तान के चौधरी मुहम्मद अली को ये अधिकार दिया गया था कि वो अपने अपने देश का पक्ष रखते हुए इस बंटवारे के काम को आसान करें.
वहीं बात जब राष्ट्रपति के अंगरक्षकों की आई तो उन्हें दोनों देशों के बीच 2:1 के अनुपात से बांट दिया गया. आखिरी में वायसराय की बग्घी को लेकर दोनों देशों ने अपना-अपना दावा ठोक दिया.
बग्घी को लेकर जब दोनों की देश अड़ गए तो इस विवाद को सुलझाने के लिए टॉस का सहारा लिया गया.
उस दौरान राष्ट्रपति (तब वायसराय) के बॉडीगार्ड रेजिमेंट के पहले कमांडडेंट लेफ्टिनेंट कर्नल ठाकुर गोविंद सिंह और पाकिस्तानी सेना के साहबजादा याकूब खान के बीच बग्घी को लेकर टॉस हुआ. टॉस में भारत की जीत हुई और बग्घी भारत के हिस्से में आ गई.