आज के समय में कहां है लंका में युद्ध जीतने वाली श्री राम की वानर सेना?
रामायण के उत्तर कांड में उल्लेख है कि जब लंका से सुग्रीव लौटे तो उन्हें भगवान श्रीराम ने किष्किन्धा का राजा बनाया. बालि के पुत्र अंगद को युवराज.
इन दोनों ने मिलकर वहां कई सालों तक राज किया. श्रीराम-रावण युद्ध में योगदान देने वाली वानर सेना सुग्रीव के साथ ही वर्षों तक रही. लेकिन इसके बाद उसने शायद की कोई बड़ी लड़ाई लड़ी.
हालांकि इस वानर सेना में अहम पदों पर रहे सभी लोग किष्किंधा में अहम जिम्मेदारियों में जरूर रहे.
वानर सेना में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले नल-नील कई वर्षों तक सुग्रीव के राज्य में मंत्री पद पर सुशोभित रहे
तो युवराज अंगद और सुग्रीव ने मिलकर किष्किन्धा के राज्य को ओर बढ़ाया. गौरतलब है कि किष्किंधा आज भी है.
किष्किंधा कर्नाटक में तुंगभद्रा नदी के किनारे है. ये बेल्लारी जिले में आता है जबकि विश्व प्रसिद्ध हम्पी के बिल्कुल बगल में है.
किष्किंधा के आसपास आज भी ऐसे कई गुफाएं हैं और जगह हैं, जहां राम और लक्ष्मण रुके थे. वहीं किष्किंधा में वो गुफाएं भी हैं जहां वानर साम्राज्य था. इन गुफाओं में अंदर रहने की खूब जगह है.
बताया जाता है कि वानर सेना की संख्या करीब एक लाख के आसपास थी. ये सेना राम के कुशल प्रबंधन और संगठन का परिणाम थी.
विशाल वानर सेना छोटे -छोटे राज्यों की छोटी-छोटी सेनाओं व संगठनों जैसे किष्किंधा ,कोल ,भील ,रीछ और वनों में रहने वाले रहवासियों आदि का संयुक्त रूप थी.
माना जाता है कि लंका विजय के बाद ये विशाल वानर सेना फिर अपने अपने राज्यों के अधीन हो गई.
क्योंकि अयोध्या की राजसभा में राम ने राज्याभिषेक के बाद लंका और किष्किंधा आदि राज्यों को अयोध्या के अधीन करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.
ये वानर सेना राम के राज्याभिषेक में अयोध्या भी आई. फिर वापस लौट गई.