इसे मॉरिस मोटर्स यूके के साथ तकनीकी सहयोग से कोलकाता में निर्मित किया गया था और बाद में यह हिंदुस्तान मोटर्स का एंबेसडर बन गया था.
यह पहली बार 1948 में निर्मित की गई थी. इसका सबसे पहले परिचालन गुजरात में हुआ था. इसके बाद कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थानांतरित कर दिया गया था.