कौन लाया था भारत में तम्बाकू? जानें यहां कैसे पहुंचा

अमेरिका के यूटाह में हुई रिसर्च के दौरान मिले अवशेष बताते हैं कि 12,300 साल पहले भी इंसान तम्बाकू का इस्तेमाल करता था, लेकिन इसे भारत में पहुंचने में लम्बा वक्त लग गया.

1492 के करीब कोलंबस के जरिए तम्बाकू अमेरिकी महाद्वीप से यूरोप तक पहुंचा. फिर 1604 के आसपास भारत में कारोबार करने वाले पुर्तगालियों के जरिए यह हिन्दुस्तान में आया.

यह वो दौर था जब अकबर और जहांगीर में सत्ता परिवर्तन के लिए जद्दोजहद चल रही थी.

बादशाह अकबर के दरबार में दक्कन के दरबारी इतिहासकार पहुंचे. उन्होंने बादशाह के सामने एक नई चीज को पेश करने की अनुमति मांगी.

यह वो चीज थी जिससे अकबर अंजान थे. उन्होंने न तो इसे देखा था और न ही इसकी खुशबू सूंघी थी.

नक्काशीदार हुक्का के साथ चांदी की प्लेट में तम्बाकू पेश किया गया. इसमें नली थी जिससे धुएं को अंदर की तरफ खींचना होता था.

दरबार में मौजूद असद बेग ने इसकी चिलम सुलगाकर अकबर को दी. अकबर के कश लगाते ही शाही हकीम ने ऐसा करने से मना किया, लेकिन वो नहीं माने.

तीन-चार कश लेने के बाद वो खांसने लगे. कुछ ही देर में अकबर समझ गए कि हकीम क्यों परेशान हो रहे हैं.

उन्होंने दवा बेचने वाले को बुलाकर तम्बाकू के बारे में जानकारी जुटाई. उसका कहना था कि मेरे पास मौजूद किताबों में कहीं भी तम्बाकू का जिक्र नहीं है.

वहीं, शाही हकीम का कहना था कि इससे नुकसान हो सकता है, हालांकि असद बेग का मानना था कि इसे खारिज नहीं करना चाहिए और जांच होनी चाहिए.

असद ने तम्बाकू का कुछ हिस्सा रईसों को दिया और कुछ आम लोगों को. इसे हुक्के में भरकर दरबारियों को भी दिया.

इस तरह तम्बाकू आम लोगों तक पहुंचा. लोगों को उसकी जानकारी हुई. नशा चढ़ने लगा. लोगों के बीच चर्चित होने पर व्यापारियों ने इसे बेचना शुरू कर दिया. इसके बाद यह लोगों की लत बन गया.