आखिर कौन होते हैं दलाई लामा, कैसे चुना जाता है? जानें

लामा तिब्बती बौद्ध धर्म के गेलुग संप्रदाय के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु होते हैं माना जाता है कि दलाई लामा की आत्मा मृत्यु के बाद किसी नवजात शिशु में पुनर्जन्म लेती है.

दलाई लामा की मृत्यु के लगभग 9 महीने बाद नए अवतार की खोज शुरू होती है और पूर्व दलाई लामा अपने पुनर्जन्म के संकेत सपनों या दृष्टांतों में देते हैं.

तिब्बती ओरेकल और वरिष्ठ लामाओं की भविष्यवाणियां मार्गदर्शन प्रदान करती है ल्हामो लात्सो झील में ध्यान करके नए दलाई लामा के जन्म स्थान के संकेत देते हैं.

ल्हामो  के संकेतों के आधार पर कुछ बच्चों की पहचान की जाती है और उनका परीक्षण भी किया जाता है.

इसकी पहचान के लिए बच्चे को पूर्व दलाई लामा की वस्तुएँ दी जाती हैं और यदि वह उन्हें पहचान ले, तो यह उनके पुनर्जन्म का संकेत माना जाता है.

कभी-कभी उनके नामों की चिट्ठियाँ सोने के कलश में डालकर उसमें से  एक नाम निकला जाता है.

दलाई लामा ने स्पष्ट किया है कि उत्तराधिकारी का चयन धार्मिक परंपराओं के आधार पर  किया जाएगा.

 वर्तमान में 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो हैं, जो भारत में निर्वासित जीवन जी रहे हैं.