कौन थे आरजी कर जिन्होंने 'भीख' मांगकर बनाया था अस्पताल? इस वजह से है चर्चा में
महिला डॉक्टर रेप-हत्या मामले से चर्चा में आए आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के संस्थापक डॉक्टर राधा गोबिंद कर थे.
उन्होंने 19वीं सदी के अंत में एशिया के पहले प्राइवेट मेडिकल की स्थापना के लिए सड़को पर भीख मांगकर पैसे जुटाए.
यह बात हम नहीं बल्कि राधा गोविंद कर के परिवार के वह सदस्य बता रहे हैं जो अब चौथी पीढ़ी में आ चुके हैं.
23 अगस्त 1852 को जन्मे डॉ. राधा गोविंद कर की दिली तमन्ना थी कि वह गरीबों के लिए एक अस्पताल बनाएं.
जब वह मेडिकल की पढ़ाई के लिए लंदन से वापस लौटे तो उनके पास कई सारे ऐसे विकल्प थे, जिससे चाहते तो वह एक सुखी-संपन्न जिंदगी जी सकते थे.
लेकिन उन्होंने उस जिंदगी को छोड़कर गरीबों के लिए एक अस्पताल बनाने की सोची. एक ऐसा अस्पताल, जिसमें आम लोगों का इलाज हो सके.
घर परिवार के सदस्य बताते हैं कि उस जमाने में आरजी कर ने बाकायदा सड़कों पर भीख मांग कर उस अस्पताल के लिए पैसे जुटाए. तब जाकर इस अस्पताल की नींव पड़ी.
हालांकि परिवार के सदस्य यह भी बताते हैं कि अंग्रेजों ने उनकी इस तपस्या को देखकर बाकायदा एक बड़ी धनराशि उनको दी, जिससे कि अस्पताल में और भी ज्यादा निर्माण हो पाया.
किसी जमाने में सड़कों पर भीख मांग कर आरजी कर ने जिस अस्पताल का निर्माण कराया, आज वह देश के बड़े अस्पतालों में से एक के रूप में शुमार है.
आरजी कर परिवार के सदस्यों ने बताया कि पहले दो पीढ़ी उनके बाद से मेडिकल फील्ड में आई और उसके बाद अधिकतर लोग मेडिकल फील्ड छोड़कर बिजनेस और दूसरे रोजगार के अवसर तलाशने लगे.
अभी भी उनके एक परिवार का सदस्य आरजी कर मेडिकल कॉलेज से ही मेडिकल की पढ़ाई पढ़ी है.
उन्होंने बताया कि आज भी उनका परिवार उस अस्पताल से किसी न किसी तरीके से जुड़ा हुआ है.
मसलन परिवार में जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो मृतक का पार्थिव शरीर अस्पताल को दान दे देता है, जिससे कि वहां के छात्र उस डेड बॉडी से पढ़ाई कर सकें.