शेषनाग ने क्यों किया था अपनी माता का त्याग, जानें इसके पीछे की रोचक कथा
नागों के कुनबे में सबसे पहले शेषनाग का जन्म हुआ था इसलिए उन्हें ब्रह्मांड का पहला नाग माना गया है.
शेषनाग के 1 हजार फन हैं जिन पर उन्होंने ग्रहों सहित समस्त ब्रह्मांडों का भार उठा रखा है.
ब्रह्मांड के निर्माण और विनाश में भी इनकी एक विशेष भूमिका है, महाभारत, रामायण और अन्य कई पुराणों में भी अवतारों का वर्णन मिलता है.
लेकिन एक बार ऐसा हुआ था कि शेष नाग अपनी माता के छल से क्रोधित होकर उनका त्याग कर दिया था जिसके बाद सदैव के लिए भगवान विष्णु की शरण में चले गए.
ब्रह्माजी के मानस पुत्र प्रजापति कश्यप की दो पत्नियां थी एक बार प्रसन्न होकर ऋषि कश्यप ने विनिता और कद्रू से मनचाहा वरदान मांगने को कहा.
जिसके बाद कद्रू ने अपने जैसे तेजस्वी एक हजार नागों को पुत्र के रुप में पाने का वर मांगा और विनेता ने केवल 2 पराक्रनी पुत्रों का वरदान मांगा.
वर प्राप्ति के उपरांत कद्रू ने 100 नागों को जन्म दिया था, नागों में सबसे पहले शेष नाग ही प्रकट हुए हैं.
वैसे तो कद्रू और विनता जो दक्ष प्रजापति की पुत्रियां थी लेकिन कद्रू को विनिता से ईर्ष्या थी. उन्होंने एक बार क्रीड़ा में विनिता को छलपूर्वक हरा दिया और उसे दासी बना लिया.
जब शेषनाग ने देखा कि उनकी माता व भाइयों ने मिलकर मौसी विनिता के साथ छल किया है तो वह बहुत दुखी हुए.
उन्होंने तभी अपनी मां और भाइयों का साथ छोड़ दिया. फिर वह गंधमादन पर्वत पर तपस्या करने लगे.