बंगाली समाज की महिलाओं के द्वारा धनतेरस, दीपावली के दिन पूजन के समय इस ध्वनि को जरूर किया जाता है. हिंदू धर्म में जितना शंख का महत्व होता है, उसके ही बराबर उलूक ध्वनि मानी गई है.
ऐसा भी माना जाता है कि इस ध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. इसलिए किसी भी पवित्र या शुभ अवसर की शुरुआत या अंत के दौरान ही उलूक ध्वनि निकाली जाती है.