अक्सर अपने बंगाली महिलाओं को देखा होगा कि धर्मिक अनुष्ठानों खासकर दुर्गा पूजा के दौरान पर कई महिलाएं एक साथ एक सुर में उलू... ध्वनि निकालती हैं 

लेकिन क्या आप जानते हैं बंगालियों में उलूलूध्वनि का क्या महत्व होता है. इसके पीछे क्या कारण है? आइए जानते हैं. 

बंगाली समाज में खास बात यह है कि उल्लू ध्वनि किए बिना कोई भी शुभ कार्य का होना पूरा नहीं माना जाता है.

चाहे देवी-देवताओं के आगे प्रार्थना करना हो या तीज त्योहार जैसे दशहरा, दिवाली, होली, हो सभी में उलूक ध्वनि जरूर दी जाती है. इस ध्वनि को केवल महिलाएं ही करती हैं. 

बंगाली समाज के पंडितों के मुताबिक, इस उलूक ध्वनि को उत्सव और समृद्धि से संबंधित माना जाता है. कहते हैं ऐसा करने से देवी देवता जागृत होते हैं.

बंगाली समाज की महिलाओं के द्वारा धनतेरस, दीपावली के दिन पूजन के समय इस ध्वनि को जरूर किया जाता है. हिंदू धर्म में जितना शंख का महत्व होता है, उसके ही बराबर उलूक ध्वनि मानी गई है.

ऐसा भी माना जाता है कि इस ध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. इसलिए किसी भी पवित्र या शुभ अवसर की शुरुआत या अंत के दौरान ही उलूक ध्वनि निकाली जाती है.

इसके साथ ही कहा जाता है कि सभी महिलाओं का एक साथ होकर यह ध्वनि उतपन्न करना वातावरण को सौम्य बनाता है.