दो महासागर जिनका पानी एक साथ होने के बावजूद भी आपस में क्यों नहीं मिलता? जानें 

ये तो आप सभी जानते होगें कि धरती पर 70 फीसदी हिस्से पर सिर्फ पानी ही पानी है. इसमें समुद्र से लेकर बर्फीली चट्टानें और नदियां सब आती हैं. 

शायद आप ये भी जानते होगें कि दुनिया में कुल 5 महासागर है जिनकी कोई सीमा नहीं है. महासागरों के शुरुआती और अंतिम छोर का पता लगा पाना बेहद ही मुश्किल काम है.

इन्ही महासागरों से जुड़ा एक रहस्य आज हम आपको बताने जा रहे हैं जिसके बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे. 

दरअसल, हिंद महासागर और प्रशांत महासागर अलास्का की खाड़ी में मिलते हैं लेकिन हम ये कह सकते हैं कि ये दोनों महासागर मिलकर भी नहीं मिलते हैं. 

ऐसा इसलिए क्योंकि इनका पानी एक दूसरे में कभी मिश्रित नहीं होता है. हिंद महासागर का पानी अलग रहता है और प्रशांत महासागर का अलग. 

आपने देखा होगा कि दोनों महासागरों का पानी अलग-अलग है. एक नीला दिखाई देता है तो एक हल्का हरा. कुछ लोग इस रहस्य को धार्मिक मान्यताओं से जोड़कर देखते हैं तो कुछ लोग चमत्कार मानते हैं. 

वैज्ञानिकों की मानें तो दोनों महासागरों के नहीं मिलने की वजह खारे और मीठे पानी का घनत्व, तापमान और लवणता का अलग-अलग होना है. 

ये दोनों घनत्व के कारण एक दूसरे से मिलते तो हैं लेकिन उनका पानी मिश्रित नहीं होता है. दोनों महासागरों के नहीं मिलने की एक और वजह बताई जाती है. 

माना जाता है कि अलग-अलग घनत्व के पानी पर जब सूरज की किरणे पड़ती हैं तो उनका रंग बदल जाता है. इससे ऐसा लगता है कि दोनों महासागर मिलते तो है लेकिन उनका पानी एक दूसरे में मिल नहीं पाता.