कुछ लोग हैं जो अपनी छींक को रोक भी लेते हैं, लेकिन स्वास्थ्य के लिहाज से सही नहीं है.
लगातार छींकने से लोगों के मन में यह भी ख्याल आने लगा है कि कहीं इंफेक्टेड ना हो जाएं. हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह से छींक को रोकना ठीक नहीं है.
छींक आना वास्तव में शरीर में प्रवेश कर चुके बैक्टीरिया, धूल, गंदगी, परागकण, धुआं, प्रदूषण आदि के कारण होने वाली प्रतिक्रिया है.
इसकी वजह से आप अपनी नाक के पास थोड़ा सुन्न और असहज महसूस करते हैं. तभी छींक आती है.
विशेषज्ञों का कहना है कि यह क्रिया आपको बीमार होने से बचाती है. ऐसा कहा जाता है कि छींक शरीर को रोगाणुओं और कोशिकाओं से क्षतिग्रस्त होने से बचाने में मदद करती है.
रिसर्च से पता चलता है कि छींक को रोकने से कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और कभी-कभी यह खतरनाक भी हो सकती है.
छींक रोकने के कारण सांस की नली फटने, फेफड़े के फटने, गले में गहरे घाव जैसे मामले भी आ चुके हैं. ऐसे में छींक आने पर इसे रोकने का प्रयास न करें.
यदि आप छींक को रोकते हैं, तो आपका शरीर उस दबाव को बनाए रखने की कोशिश करता है. जिससे मस्तिष्क के फटने का डर रहता है.
ऐसे में अगर आप छींक को एक पल के लिए भी रोकते हैं. तो उसका सारा दबाव दूसरे अंगों की तरफ मुड़ जाता है.