क्यों मशहूर है '2 जून की रोटी', क्या आपको पता है इसका असली मतलब?
आज 2 जून है और आज की तारीख अपने आप में बेहद है. अब आप यह सोच रहे होंगे कि आखिर आज की तारीख में ऐसी क्या खास बात है.
आपने सभी ने कभी न कभी एक कहावत जरूर सुनी होगी ‘दो जून की रोटी,’लेकिन क्या आप इस कहावत का मतलब जानते हैं.
दरअसल, दो जून की रोटी का 2 तारीख से कोई लेना-देना नहीं है. यह कहावत लोगों के संघर्ष और असल जीवन को दर्शाती है.
असल में यह एक अवधी कहावत (historical reference of idioms) है, जिसका मतलब दो वक्त की रोटी होता है. इस कहावत में जून का मतलब महीना नहीं, बल्कि वक्त या समय है.
इस कहावत की शुरुआत एक खास तबके के लोगों ने की थी. दरअसल, पुराने जमाने में जब गरीबी अपने चरम पर थी, तो लोगों को दो वक्त की रोटी भी बड़ी मुश्किल से नसीब होती थी.
अगर दिन में खाना मिल गया, तो रात भूखे पेट की गुजारनी पड़ती थी और अगर रात में खाना मिल जाए, तो दिनभर भूखा रहना पड़ता था.
दोनों की वक्त की रोटी कमाने के लिए लोगों को काफी मेहनत करनी पड़ती थी, इसलिए यह कहावत उस दौर से चलन में है. आज भी लोग मेहनत कर दो जून की रोटी कमाते हैं.
आजकल दो जून की रोटी को लेकर खूब मजाकिया मीम्स (Memes) शेयर किए जाते हैं. 2 जून के दिन को 2 जून की रोटी वाले मीम्स और जोक्स खूब वायरल होते हैं क्योंकि तारीख 2 जून होती है.