त्रिदेवों में से एक ब्रह्मा जी का केवल एक ही मंदिर है, जो पुष्कर में है. इसका एक प्रसंग ब्रम्हा जी और सरस्वती के विवाह से जुड़ा हुआ है. इस प्रसंग का उल्लेख सरस्वती पुराण में किया गया है.
पुराणों के अनुसार, एक बार सृष्टि के कल्याण के लिए ब्रह्मा जी ने यज्ञ करने की योजना बनाई. यज्ञ के लिए जगह की तलाश के लिए ब्रह्मा जी ने अपने एक कमल को पृथ्वी पर भेज दिया.
कमल जिस जगह पर गिरा, वहां ब्रह्मा जी का मंदिर स्थापित हुआ और ये जगह राजस्थान के पुष्कर में स्थित है. यहां कमल गिरने से ही तालाब का निर्माण हुआ था.
उसी जगह को यज्ञ के लिए भी चुना गया. इसके बाद ब्रह्मा जी यज्ञ करने उचित स्थान पर पहुंचे. यज्ञ शुभ मुहूर्त पर शुरू होना था, लेकिन उनकी पत्नी सावित्री समय पर नहीं पहुंची.
क्रोध शांत होने पर सावित्री ने कहा कि पुष्कर को छोड़कर और किसी स्थान पर ब्रह्मा जी की पूजा नहीं की जाएगी और ना ही मंदिर स्थापित होगा. इस कारण ही ब्रह्मा जी की पूजा नहीं की जाती है.