2 जून की रोटी क्यों है महत्वपूर्ण? दुनिया के 42% लोगों को नहीं होती नसीब!
जून महीने की 2 तारीख सोशल मीडिया पर हर साल ट्रेंड करती है, जोक्स से लेकर कहावतें खूब वायरल होती हैं.
किताबें से लेकर बड़े-बुजर्गों तक से हम यह सुनते आए हैं कि 'दो जून की रोटी' किस्मत वालों को ही मिलती है.
इसको पाने के लिए लोगों को मेहनत का पसीना बहाना पड़ता है. आज यही दिन है, जिसको लेकर सोशल मीडिया पर खूब पोस्ट देखने को मिल रही हैं.
दरअसल 'दो जून की रोटी' एक मुहावरा है, जिसका अर्थ है कि दिनभर में आपको दो टाइम का खाना मिल जाना.
माना जाता है कि जिस शख्स को दो टाइम का खाना मिल रहा है, वह किस्मतवाला है.
क्योंकि कई लोगों को मेहनत करने के बावजूद दो टाइम का खाना तक नसीब नहीं हो पाता है.
अब इसके इतिहास की जानकारी तो नहीं लेकिन इसका शाब्दिक अर्थ यही निकाला जाता है.
वहीं जानकारों का कहना है कि जून में भयकंर गर्मी पड़ती है और इस महीने में अक्सर सूखा पड़ता है. इसकी वजह से चारे-पानी की कमी हो जाती है.
जून में ऐसे इलाकों में रह रहे परिवारों को दो वक्त की रोटी के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. इन्हीं हालातों में 'दो जून की रोटी' प्रचलन में आई होगी.