माता सीता का जन्मस्थल 'मिथिला'. धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए विश्व में प्रसिद्ध है, जहां एक बार आपको जरूर जाना चाहिए. 

मिथिलांचल में कोजागरा का पर्व विशेष महत्व है. इस साल कोजागरा पर्व यानी कल 16 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा. 

बताया जाता है कि यह पर्व नवदंपत्य जीवन की शुरुआत कर रहे दमपत्तियों के लिए विशेष कर मनाया जाता है. यह रामायण काल से चला आ रहा है.

यहां मां जानकी सीता के यहां से अयोध्या प्रभु श्री राम के यहां कोजागरा का भार सर्वप्रथम गया था, तब से यह पर्व मनाया जा रहा है.

दरअसल कोजागरा पर्व अश्वनी मास की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस दिन प्रदोष काल में माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है.

मिथिला के नवविवाहित दूल्हों के घर कोजागरा को लेकर उत्सवी माहौल के साथ ही रिश्तेदार और मेहमानों के आने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है. 

कोजागरा पर्व के अवसर पर दूल्हे के ससुराल से पान, मखाना, नारियल, केला इत्यादि आता है. जिसके बाद घर के बुजुर्ग मंत्र के साथ दूर्वाक्षत देकर दूल्हे को आशीर्वाद देते है, जिसे चुमाओन कहा जाता है.

साथ ही नवविवाहित दूल्हे का चुमावन कर नवविवाहिता के समृद्ध और सुखमय जीवन के लिए प्रार्थना की जाती है. इसके बाद लोगों के बीच मखान बतासा आदि बांटे जाते हैं. 

कोजागरा की रात्री जागरण का विशेष महत्व है. मान्यता के अनुसार कोजागरा की रात लक्ष्मी के साथ ही आसमान से अमृत वर्षा होती है. 

परंपरा के अनुसार, कोजागरा के अवसर पर नवविवाहित दंपती को मखाना, मिठाई, चूरा, दही, नए वस्त्र और अन्य खाद्य सामग्री उपहार के रूप में प्रदान की जाती है.