भारतीय भोजन की थाली को दाल के बिना अधूरा माना जाता है. लगभग हर घर की रसोई में दाल-चावल या दाल-रोटी का आनंद लिया जाता है.

डॉक्टर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स भी रोजाना दाल खाने की सलाह देते हैं. शाकाहारियों के लिए दालें पौष्टिकता से भरपूर मानी जाती हैं.

लेकिन क्या आप जानते हैं भारत की दालों एक एक ऐसी भी है जिसे नॉनवेज माना जाता है. इसे मांसाहार की श्रेणी में रखा गया है.

देश के कई राज्यों के लोग खासकर बंगाल के लोग इसे नॉनवेज मानते हैं. आइए आपको बताते हैं कौनसी वो दाल.

हिंदू पौराणिक कथा अनुसार मसूर की दाल को मांसाहारी बताया गया है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी मसूर की दाल शाकाहारी नहीं है.

मसूर दाल की उत्पत्ति दैत्य के रक्त गिरने से हुई है जिस वजह से इस दाल को मांसाहारी कहा जाता है.

यह कहा जाता है कि जब देवताओं ने अमृत का सेवन किया था, तब राहु ने छल से अमृत पी लिया. लेकिन भगवान विष्णु ने अपने चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया.

एक मान्यता के अनुसार, राहु का कटा हुआ सिर जहां गिरा, वहां मसूर की दाल उत्पन्न हुई. इसलिए मसूर की दाल को खून और मांस से जोड़ा जाता है.

शास्त्र के अनुसार, मसूर की दाल ग्रहों के सेनापति मंगल ग्रह का प्रतीक मानी जाती है. साधु-संत और ब्राह्मण भी मसूर की दाल नहीं खाते हैं.

कहा जाता है जो लोग प्रतिदिन मसूर की दाल का सेवन करते हैं उनमें हिंसा या आक्रमण जैसा भाव उत्पन्न होता है.