जेब में लैपटॉप, कंप्यूटर या मोबाइल फोन हो. किसी भी कीबोर्ड को देखें और आप देखेंगे तो आपको कभी भी अल्फाबेट्स अपने सही ऑर्डर में नहीं मिलेंगे.
लेकिन क्या आपने कभी ऐसा सोचा है कि कीबोर्ड पर A से लेकर Z तक लाइन में लिखने की बजाय आगे पीछे क्यो लिखे होते हैं? अगर नहीं पता है तो आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है.
आज जो हम कीबोर्ड लेआउट का इस्तेमाल कर रहे हैं उसे QWERTY लेआउट कहते हैं, और इसे 1870 में क्रिएट किया गया था.
QWERTY लेआउट को तेजी से टाइप करते समय टाइपराइटर की कीज़ को अटकने से रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया था.
कीबोर्ड पर अक्षरों को इस तरह से रखा गया था कि सबसे ज़्यादा इस्तेमाल की जाने वाली कीज़ एक-दूसरे से अलग रहें, और टाइपिंग करते हुए वे एक साथ जाम न हो जाए.
जब कंप्यूटर कीबोर्ड बनाया गया तो वही QWERTY लेआउट रखा गया, क्योंकि लोग पहले से ही इसे समझते थे.
इसके अलावा, कंप्यूटर कीबोर्ड में टाइपराइटर के मुकाबले कई और कीज़ जोड़ी गई, जिनमें फंक्शन कीज़, ऐरो कीज़ और नंबर कीज़ शामिल हैं.
कीज़ का लेआउट लोगों के लिए इन सभी कीज़ तक एक्सेस को आसान बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया था.
जानकारी के लिए बता दें कि QWERTY लेआउट एकमात्र कीबोर्ड लेआउट नहीं है. कई दूसरे कीबोर्ड लेआउट हैं जो पिछले कुछ सालों में बनाए गए हैं, जैसे Dvorak Simplified कीबोर्ड और Colemak लेआउट.
ये लेआउट QWERTY लेआउट की तुलना में ज्यादा आसान बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, लेकिन इन्हें व्यापक रूप से अपनाया नहीं गया है.
QWERTY लेआउट टाइपराइटर पर keys के जैमिंग को रोकने के लिए बनाया गया था, ताकि कोई भी शब्द लिखने के लिए कीज़ को अलग-अलग जगह से प्रेस किया जा सके और दोनों हाथों का बराबर से यूज किया जा सके.