दुनिया में खतना कराने की कुप्रथा आज भी कायम, ऐसे दी जाती है पीड़ा, 10 साल के बच्चे ने तोड़ा दम
मुस्लिम समुदाय में खतना की प्रथा आज भी कायम है, यह कई दफा बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो चुकी है
अब बांग्लादेश की राजधानी ढाका में ख़तना करवाने के दौरान एक 10 साल के लड़के की मौत हो गई है
उस बच्चे को ढाका के एक प्राइवेट अस्पताल में लाया गया था, उसका नाम- अहनाफ़ तहमीद था
परिजनों का कहना है कि खतने के दौरान डॉक्टरों हज्जाम ने लापरवाही बरती, उससे उनके मासूम बेटे की जान चली गई
परिजनों के मुताबिक, 10 साल के बेटे की मौत उनसे इजाज़त लिए बिना ‘पूरी तरह बेहोश करने’ की वजह से हुई.
इससे पहले भी बांग्लादेश में आयान अहमद नाम के बच्चे की मौत भी ख़तना करवाने के दौरान हो गई थी
स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कई दशकों से बांग्लादेश में बच्चे केा बेहोश किए बगैर ही ख़तना किया जाता रहा है
हाल के दिनों में मुस्लिम देशों में डॉक्टर के ज़रिए सर्जिकल ख़तना करने का रिवाज बढ़ गया है.
ढाका मेडिकल कॉलेज के एनेस्थीसिया एक्सपर्ट डॉ. शाह आलम का कहना है कि ख़तने के लिए एनेस्थीसिया जरूरी है
डॉक्टरों का कहना है कि- अगर आवश्यक शारीरिक जांच किए बिना ग़लत समय पर एनेस्थीसिया दिया जाएगा तो जान को ख़तरा हो सकता है.