क्या आप जानतें है मुहर्रम के महीने में लोग एक दूसरे को बधाई कयों नहीं देते?

मुहर्रम के महीने में लोग एक दूसरे को बधाई नहीं देते क्योंकि यह शोक और गम का महीना होता है।

इस महीने में, शिया मुसलमान पैगंबर मुहम्मद के पोते इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं, जो कर्बला की लड़ाई में शहीद हो गए थे।

मुहर्रम, इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है, लेकिन इसे खुशी के साथ नहीं बल्कि गम के साथ मनाया जाता है।

पैगंबर मुहम्मद के नवासे थे इमाम हुसैन इमाम हुसैन करबला की लड़ाई में शहीद हुए थे

क्योंकि यह खुशी का त्योहार नहीं, बल्कि शहादत और दुख का समय है। बधाई देना अनुचित और असंवेदनशील माना जाता है।

करबला की घटना मुसलमानों के दिलों को आज भी दुखी कर देती है। इसी लिए मोहर्रम में लोग मातम करते हैं, आंसू बहाते हैं।

मोहर्रम कोई त्योहार नहीं, बलिदान की याद है। बधाई देना शहीदों के बलिदान का अपमान माना जाता है।

सुन्नी मुसलमान भी इस महीने को अहम मानते हैं और रोजे रखते हैं।