नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अनुसार, भारत में रोज 6000 से ज्यादा फ्लाइट्स आसमान में होती हैं. इसमें देशी और विदेशी दोनों उड़ानें शामिल हैं. 

विमान आमतौर पर 31,000 (9.44 किमी) से 42,000 (12.80 किमी) फीट की ऊंचाई पर उड़ते हैं.

विमान के इतनी ऊंचाई पर जाकर उड़ने के भी कारण है. आइए जानते हैं क्या? 

इतनी अधिक ऊंचाई पर हवा धरती के निचले भाग की तुलना में कम होती है, जिससे उन्हें बेहतर और आसान उड़ान भरने में मदद मिलती है.

विमान इतनी ऊंचाई पर उड़ते हैं क्योंकि उन्हें उस स्थिति में कई फायदे होते हैं. उन्हें ऊंचाई पर जाकर हवा गहरी होती है, जिससे विमान को आसानी से उड़ान भरने में मदद मिलती है.

इसके अलावा यह ऊंचाई भूमि से सुरक्षित होती है, जिससे विमान के लिए सुरक्षित यात्रा होती है.

इतनी अधिक ऊंचाई पर, वायु का घनत्व कम होता है. इसका मतलब है कि ऊपर जाने पर विमान के लिए वायु प्रतिरोध कम होता है.

इसके अलावा अधिक ऊंचाई पर उड़ान भरने से पक्षियों से टकराने से बचने, अशांति को कम करने और यात्रियों को अधिक आरामदायक उड़ान अनुभव देने में मदद मिलती है.

कमर्शियल विमान आमतौर पर 31,000 और 38,000 फीट के बीच उड़ान भरते हैं, जो करीब 9.4 से 11.5 किमी की ऊंचाई में होती है. आमतौर पर विमानों को इतनी ऊंचाई में पहुंचने में 10 मिनट का समय लगता है.