रेमल तूफान ने पश्चिम बंगाल से लेकर बांग्लादेश के तटीय इलाकों में तबाही मचा दी है. बारिश का असर पूर्वोत्तर भारत में भी खूब है. 

ये तूफान 135 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चला और जब ये तट से जाकर टकराया उसके बाद भयंकर बारिश से सैकड़ों गांव डूब चुके हैं. 

रेमल तूफान बंगाल की खाड़ी से पैदा हुआ था. दुनिया में जिन समुद्रों में सबसे ज्यादा तूफान बनते हैं, उसमें एक बंगाल की खाड़ी भी है.

बता दें कि 120 साल के इतिहास में सिर्फ 14 फीसदी चक्रवाती तूफान और 23 भयंकर चक्रवात अरब सागर में आए हैं. 86 फीसदी चक्रवाती तूफान और 77 फीसदी भयंकर चक्रवात बंगाल की खाड़ी में आए हैं.

बंगाल की खाड़ी में अरब सागर की तुलना में ज्यादा तूफान आने का सबसे अहम कारण हवा का बहाव है. पूर्वी तट पर मौजूद बंगाल की खाड़ी के मुकाबले पश्चिमी तट पर स्थित अरब सागर ज्‍यादा ठंडा रहता है. 

मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, ठंडे सागर के मुकाबले गर्म सागर में तूफान ज्यादा आते हैं. इतिहास के 36 सबसे घातक उष्ण कटिबंधीय चक्रवात में 26 चक्रवात बंगाल की खाड़ी में आए हैं.

बंगाल की खाड़ी में आने वाले तूफानों का भारत में सबसे ज्‍यादा असर ओडिशा में देखा गया है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु भी इससे प्रभावित होते रहे हैं.

बंगाल की खाड़ी से टकराने वाले तूफान मुड़ नहीं पाते. वहीं, पश्चिमी तटों पर आने वाले तूफान की दिशा अक्सर बदल जाती है.

दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर से उठने वाले तूफानों के अलावा उत्तर-पश्चिमी प्रशांत से बिखरने वाले तूफान दक्षिणी चीन सागर से होते हुए बंगाल की खाड़ी में पहुंच जाते हैं.

यही वजह है कि हमारा पूर्वी तट हमेशा दबाव में रहता है. रिपोर्ट के मुताबिक, तूफान अरब सागर में भी बनते हैं, लेकिन ये अमूमन भारत के पश्चिमी तट को छोड़ते हुए उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ जाते हैं.