क्यों बंद हुआ 92 साल पुराना रेल बजट? वजह जान आप भी कहेंगे-सही फैसला
आपको याद होगा साल 2017 से पहले तक देश में दो बार बजट पेश होता था. एक रेल बजट और दूसरा आम बजट.
मोदी सरकार ने साल 2016 में रेल बजट को आम बजट के साथ मिला दिया और इसी के साथ 94 साल से चली आ रही एक व्यवस्था का अंत हो गया.
बाद में इस फैसले की काफी आलोचना की गई, लेकिन आज 7 साल बाद जब फैसले की समीक्षा करते हैं तो यह पूरी तरह सही नजर आता है.
रेल बजट को आम बजट के साथ मर्ज करने के पीछे मुख्य रूप से 5 वजहें थी और आप भी इन वजहों को जानकर यही कहेंगे कि सही फैसला था.
दरअसल, पहला रेल बजट 1924 में पेश किया गया था. तब रेलवे को आवंटित किया गया पैसा, पूरे आम बजट से भी कहीं ज्यादा था.
इसकी वजह थी भारतीय रेल में लगा ब्रिटेन का पैसा. ब्रिटिश सरकार अपने निवेश को असुरक्षित नहीं करना चाहती थी.
इसके बाद से रेल बजट की परंपरा चलती रही और आखिर साल 2016 में तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इसे आम बजट के साथ विलय करने के नीति आयोग के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया.
रेल बजट को आम बजट के साथ मर्ज करने के पीछे पहला कारण यही था कि इससे अनावश्यक असुविधा होती है.
रेल बजट को आम बजट से मिलाने के पीछे एक मंशा यह भी थी कि रेलवे की स्थिति को सुधारा जा सके.
आम बजट और रेल बजट को साथ पेश किए जाने के पीछे सरकार की मंशा इन्फ्रा प्रोजेक्ट के लिए लांग टर्म की प्लानिंग बनाना भी था.