क्यों हमेशा के लिए बंद हो गया कुतुब मीनार का दरवाजा? ये है हैरान करने वाली वजह

आज पर्यटकों को केवल बाहर से ही क़ुतुब मीनार का दीदार करना पड़ता है, मीनार के अंदर जाने की इजाज़त नहीं है

हालांकि, आज से करीब 43 साल पहले ऐसा नहीं था. उस समय पर्यटकों को इसके अंदर भी जाने की इजाजत थी.

चलिए जानते हैं कि आखिर आज से 43 साल पहले ऐसा क्या हुआ कि कुतुब मीनार के दरवाजे हमेशा के लिए बंद करने पड़ गए.

ये दिन था 4 दिसंबर 1981 का. शुक्रवार का दिन होने की वजह से कुतुब मीनार पर्यटकों से खचाखच भरा था. हर तरफ लोग ही लोग थे.

कुतुब मीनार के अंदर भी काफी लोग मौजूद थे, लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि हर तरफ से सिर्फ चीखें सुनाई देने लगीं.

उस वक्त सुबह के करीब 11:30 हुए थे. कुतुब मीनार के अंदर लोगों की भीड़ बढ़ने लगी थी.

तभी अचानक मीनार के अंदर की लाइट चली गई. इस दौरान मीनार के भीतर करीब 500 लोग थे.

लाइट जाते ही लोग घबरा गए. तभी किसी ने भीड़ में अफवाह फैला दी कि कुतुब मीनार गिर रहा है.

हर तरफ अफरा तफरी मच गई और लोग उससे बाहर निकलने की कोशिश करने लगे.

कुतुब मीनार के भीतर भगदड़ मच चुकी थी, लोग एक दूसरे के ऊपर चढ़े जा रहे थे और कोशिश कर रहे थे कि किसी भी तरह से कुतुब मीनार से बाहर निकल सकें.

भगदड़ जब शांत हुई तो अंदर का दृश्य भयावह था. वहां कई लोग घायल और मृत पड़े थे.

उस वक्त के अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स ने रिपोर्ट छापी की इस भगदड़ में 45 लोग मारे गए. जबकि, 21 लोग घायल हुए थे.

यही वजह है कि तब से लेकर अब तक कुतुब मीनार के दरवाजे बंद हैं.