कंपनी के मिड लेवल के 100 से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी की आशंका है. इसके जरिए कंपनी मार्जिन में सुधार करना चाहती है.
बता दें कि विप्रो वर्तमान में शीर्ष 4 भारत-सूचीबद्ध आईटी कंपनियों में सबसे कम मार्जिन रखती है. यही वजह है कि कंपनी पर प्रॉफिट बढ़ाने का दबाव है
इस निर्णय का श्रेय ब्रिटिश कंस्लटेंसी कंपनी कैपको (Capco) में कंपनी के महंगे संसाधनों को दिया जाता है.
बता दें कि कैपको को विप्रो ने साल 2021 में 1.45 बिलियन डॉलर में अधिग्रहण किया था। यह एक कंस्लटेंसी फर्म है, जिसके सीईओ थिएरी डेलापोर्टे हैं.
हालांकि, कोविड के बाद जैसे-जैसे वैश्विक आर्थिक स्थितियों में उतार-चढ़ाव आया, इस व्यवसाय में मंदी आ गई.
खबर के मुताबिक विप्रो के प्रवक्ता ने मार्केट आउटलुक के साथ व्यावसायिक रणनीतियों पर जोर दिया.
विप्रो के प्रवक्ता ने प्रौद्योगिकी और प्रतिभा में निवेश के माध्यम से ग्राहक, कर्मचारी अनुभवों को बढ़ाने के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता की पुष्टि की.
बीते दिनों विप्रो ने दिसंबर तिमाही के नतीजे जारी किए थे. इस दौरान विप्रो की कर्मचारियों की संख्या में लगातार पांचवीं तिमाही में गिरावट आई.
दिसंबर तिमाही में पिछली तिमाही की तुलना में 4,473 कम कर्मचारी थे. दिसंबर तिमाही में कंपनी की कर्मचारियों की संख्या 2,40,234 है.
यह शेयर पिछले 15 फरवरी को 526.45 रुपये के 52 वीक हाई पर पहुंच गया था.