नेपाल में इन दिनों एक समुदाय के लोग बोधिचित्त पेड़ काटे जाने की घटनाओं से खु़द को डरा हुआ महसूस कर रहे हैं.

पेड़ों के काटे जाने की घटनाओं से इस समुदाय के लोगों में भय और पीड़ा जैसी स्थिति पैदा हो गई है.

नेपाल में 'सोने की खान' कहे जाने वाले इन पेड़ों की अब लोग सीसीटीवी से निगरानी कर रहे हैं. 

वहीं कई इलाकों में तो लोग 24 घंटे बंदूक लेकर पहरा दे रहे हैं और देखरेख कर रहे हैं. तो आखिर ऐसा क्या है इन पेड़ों में...

दरअसल बोधिचित्त (या बोधि) के पेड़ नेपाल के कई लोगों के लिए कमाई का बड़ा साधन भी हैं.

नेपाल के कावरेपालनचोक ज़िले में उगने वाले बोधिचित्त पेड़ों का बौद्ध धर्म में भी बड़ा प्रतीकात्मक महत्व है. 

कई बौद्ध लोगों के लिए इन पेड़ों की कीमत सोने से भी ज़्यादा है. बोधिचित्त अथवा बोधि के पेड़ नेपाल के साथ-साथ एशिया के तमाम देशों में पाए जाते हैं. 

पेड़ इतना खास और महंगा क्यों है? इसकी वजह इस पेड़ का बीज है, जिसका इस्तेमाल बौद्ध प्रार्थना की माला बनाने में किया जाता है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक एक पेड़ से प्राप्त बीज एक सीजन में 90 लाख रुपए तक बिकता है. 

कई चीनी व्यापारी इनको खरीदकर प्रोसेस करते हैं, फिर चीन में तीन से चार करोड़ रुपए में बेच देते हैं. कुछ लोकल लोग खुद बोधिचित्त का माला तैयार करते हैं. 

माला में इस्तेमाल होने वाला बोधिचित्र का बीज 13 मिलीमीटर से 16 मिलीमीटर तक होता है और 50 डॉलर से 200 डॉलर तक में बिक जाता है.