यहां लगती है 'यमराज की कचहरी', यही से होता है स्वर्ग-नरक जाने का फैसला
कहा जाता है कि हिमाचल के मनु की नगरी मनाली में सृष्टि की रचना हुई थी. वहीं चंबा के शाम चौरासी मंदिर में यमराज की कचहरी लगती है.
मान्यता है कि चंबा के भरमौर स्थित शाम चौरासी में यमराज का इकलौता मंदिर है.
यहां पर यमराज की कचहरी लगती है और मृत्य के बाद यहां पर इंसान की आत्मा आती है और तय होता कि वह स्वर्ग लोक जाएगी या नरकलोक.
शाम चौरासी मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां पर यमराज व्यक्ति के कर्मों का फैसला करते हैं.
यह मंदिर देखने में एक घर की तरह दिखाई देते हैं और यहां पर कुल 84 छोटे बड़े मंदिर हैं. एक कमरे में यमराज विराजमान हैं तो दूसरे कक्ष चित्रगुप्त रहते हैं.
इस क्षेत्र में माना जाता है कि मंदिर में चार अदृश्य द्वार हैं जो स्वर्ण, रजत, तांबा और लोहे के बने हैं.
यमराज के फैसले के बाद यमदूत आत्मा को कर्मों के अनुसार इन्हीं द्वारों से स्वर्ग या नर्क में ले जाते हैं. गरुड़ पुराण में भी यमराज के दरबार में चार दिशाओं में चार द्वार का उल्लेख मिलता है.
यमराज के कोप से बचने के लिए भाई दूज पर यहां मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगती है. कहा जाता है कि भाई दूज के दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आते हैं.
इसी वजह से भाई दूज पर यमराज की विशेष पूजा की जाती है. चंबा से यह मंदिर करीब 60 किमी की दूरी पर है. बड़ी संख्या में यहां श्रद्धालू आते हैं.