आपने मिस्र में इस तस्वीर को कई बार देखा होगा, लेकिन नहीं जानते होंगे इसकी ये बातें
वैसे तो मिस्र के पिरामिड अपने आप में अजूबा हैं लेकिन गीजा के ग्रेट स्फिंक्स ऐसी सरंचना है जिसकी तस्वीर तो लोगों ने बहुत देखी है, लेकिन इसके बारे में कम ही जानते हैं.
अनुमान है कि यह 4,500 साल पुराना है, ग्रेट स्फिंक्स प्राचीन दुनिया के सात अजूबों में से एक है. खास बात ये है कि यह बाकी पिरमाडों से काफी अलग है.
यह काहिरा से पश्चिम की ओर लगभग आधे घंटे की ड्राइव पर, नील नदी के पश्चिमी तट पर गीजा पठार में बना है. 73 मीटर ऊंची और 73 मीटर लंबी, यह प्राचीन दुनिया की सबसे बड़ी जीवित मूर्ति है.
सालों तक, मिस्र के शासकों ने इस रहस्यमयी स्फिंक्स की पूजा सूर्य देवता के एक शक्तिशाली रूप के रूप में की थी. इसकी कई बाते हैं इसके रहस्य को गहराने का काम करती हैं.
स्फिंक्स एक पौराणिक प्राणी है जिसका शरीर शेर का और सिर इंसान का होता है. यह मिस्र, एशियाई और ग्रीक पौराणिक कथाओं में प्रमुख है.
मिस्र में, स्फिंक्स को अक्सर फिरौन के सिर पर पहने हुए पुरुष के रूप में दर्शाया जाता था. प्राचीन मिस्र के लोगों ने कभी भी मूर्ति को "द ग्रेट स्फिंक्स" के रूप में नहीं दिखाया या बताया.
यहां तक कि यह भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि आखिर इसे बनवाया किसने था. लोगों को यह लगता है कि स्फिंक्स जैसा आज दिखता है वैसा ही कुछ तब भी दिखाई देता होगा, जब वह बना था.
यहां तक कि यह भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि आखिर इसे बनवाया किसने था. लोगों को यह लगता है कि स्फिंक्स जैसा आज दिखता है वैसा ही कुछ तब भी दिखाई देता होगा, जब वह बना था.
चेहरा शायद लाल रंग का था और सिर पर पहना जाने वाला कपड़ा शायद कैनरी पीले रंग का था. लेकिन अब भी स्फिंक्स के एक कान पर बचे हुए लाल रंग को देखा जा सकता है.
यह मान लेना आसान है कि स्फिंक्स, जितना लंबा और चौड़ा है, उसे टुकड़ों में जोड़कर बनाया गया होगा.
असल में, इसे पिरामिड बनाने के लिए इस्तेमाल की गई खदान में बचे हुए चूना पत्थर के एक ही टुकड़े से तराशा गया था.
मिस्र के वैज्ञानिक मार्क लेहनर का अनुमान है कि स्मारक को बनाने में छेनी और हथौड़ों का इस्तेमाल करके लगभग 100 मजदूरों को करीब तीन साल लगे.