भारत में इंडस्ट्रियल गतिविधियों में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में तेजी देखने को मिल सकती है. इसकी वजह उपभोग में इजाफा और निर्यात में वृद्धि होना एवं महंगाई में कमी आना है. यह जानकारी क्रिसिल द्वारा शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में दी गई. रिपोर्ट में कहा गया कि अब तक अधिक महंगाई दर, बढ़ी हुई ब्याज दरों ने क्रेडिट वृद्धि दर को कम किया है. साथ ही इससे उपभोग रिकवरी भी प्रभावित हुई है.
इसके अलावा रिपोर्ट में आगे कहा गया कि खाद्य महंगाई में कमी के संकेत मिले हैं. इसके कारण उपभोग बढ़ने की उम्मीद है और इस साल कृषि उत्पादन अच्छा होने के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार देखने को मिल सकता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, ऊंची ब्याज दरों के कारण शहरी अर्थव्यवस्था को कर्ज वृद्धि से मिलने वाले समर्थन में कमी का सामना करना पड़ रहा है. सरकार की ओर से कम व्यय का सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि पर मध्यम प्रभाव पड़ने की उम्मीद है. हालांकि, इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में सरकारी पूंजीगत व्यय में सुधार की उम्मीद है, लेकिन पिछले वित्त वर्ष की तुलना में विकास दर धीमी रहने की संभावना है. निवेश की गति को बनाए रखने के लिए निजी निवेश में पुनरुद्धार काफी महत्वपूर्ण होगा.
रिपोर्ट में कहा गया कि इस साल वैश्विक व्यापार बढ़ने की उम्मीद है और इससे निर्यात वृद्धि को सहारा मिलेगा. हालांकि, वैश्विक अस्थिरताओं के कारण आपूर्ति श्रृंखला में दबाव का जोखिम बना हुआ है. निर्यात अगले साल अमेरिका-चीन टैरिफ वार की संभावना से उत्पन्न होने वाली अनिश्चितताओं से प्रभावित होने की संभावना है.
क्रिसिल के मुताबिक, ऊंची ब्याज दरों और राजकोषीय समेकन से वित्त वर्ष 25 में जीडीपी विकास दर 6.8 प्रतिशत रहने की संभावना है, जो कि पिछले वित्त वर्ष में 8.2 प्रतिशत था. रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई कि आने वाले हफ्तों में खाद्य पदार्थों की कीमतें में कमी आएगी. दिसंबर में जब खरीफ की फसल बाजार में आती है तो सब्जियों की कीमतें कम हो जाती हैं. पिछले साल का उच्च आधार भी महंगाई को कम करने में मदद करेगा. हालांकि, खाद्य तेल की कीमतों के दबाव पर नजर रखनी होगी.
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रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य मुद्रास्फीति में कमी आने के कारण आने वाले महीनों में महंगाई दर में गिरावट देखने को मिल सकती है. हमें उम्मीद है इस वित्त वर्ष में औसत महंगाई दर 4.6 प्रतिशत रह सकती है.
-भारत एक्सप्रेस
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