Vegetable Price Hike: हरी सब्जियों के बढ़ते दाम से गृहणियों के पसीने छूटने लगे हैं और बजट पूरी तरह से बिगड़ गया है. खाने की थाली से भी हरी सब्जी गायब सी हो गई है. महंगाई की मार ने गृहणियों को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है. अप्रैल-मई और जून के महीने में तो तरोई गत वर्ष तक 20 रुपए किलों में बिका करती थी, उसका दाम इस बार 50-60 रुपए किलो से कम होने का नाम ही नही ले रहा है. यहां तक कि इससे पहले तरोई 80 रुपए किलो तक बिकी है.
मालूम को कि तरोई गर्मी की सबसे विशेष सब्जी है जो बड़ों और बुजुर्गो की फेवरेट होती है. ऐसे में तरोई के दाम कम न होने के इसके साथ ही अन्य सब्जियों को किलो में न खरीद कर मात्र पाव भर में ही काम चलाया जा रहा है.
जानकार मान रहे हैं कि मौसम की मार के कारण हरी सब्जियों का उत्पादन प्रभावित हुआ है, जिसका सीधा असर बाजार पर पड़ा है. इसी वजह से जिन हरी सब्जियों के दाम अब तक कम होने चाहिए थे वही सब्जियां सबसे महंगी हैं और लोग मौसमी सब्जियां खाने को तरस रहे हैं. महंगाई के कारण आम आदमी की थाली से हरी सब्जियां तो दूर हैं ही, इसके साथ ही सब्जियों का राजा आलू के साथ प्याज भी लोगों को तरसा रहा है.
गृहणियों का कहना है कि हरी सब्जियों की महंगाई के कारण जो सब्जी एक किलो खरीदनी चाहिए उसे एक पाव ही खरीद कर काम चला रहे हैं. तरोई से लेकर लौकी, करेला, भिंडी और बैगन तक इतने मंहगे हैं कि खरीदने की हिम्मत ही नहीं पड़ती है.
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हरी सब्जियों के महंगे होने को लेकर जहां दुकानदारों का कहना है कि तापमान बढ़ने से सब्जियों का उत्पादन कम हो पा रहा है. बाजार में आवक कम होने के कारण सब्जियों की कीमत अधिक हो गई है. इस वर्ष मार्च में ही गर्मी की तपिश बढ़ने के कारण खेतों की नमी सूखने लगी थी. इसी वजह से हरी सब्जियों के उत्पादन में इसका असर दिखने लगा है. वहीं किसान बताते हैं कि लगातार पंपिंगसेट से सिंचाई, कीटनाशक का छिड़काव और बढ़वार के लिए दवाओं के प्रयोग से लागत बढ़ने तो लगी है लेकिन लागत ज्य़ादा लगने के कारण गांवों के बाजार में जो सब्जियों के रेट हैं वही रेट शहर में भी चल रहे हैं.
जानकार मानते हैं कि दूसरी ओर सब्जियों के रेट बढ़ने की एक बड़ी वजह पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम भी हैं क्योंकि स्थानीय स्तर पर सब्जियों की आपूर्ति न होने के कारण आढ़तिओं को बाहर से सब्जी मंगानी पड़ रही है. इसकी वजह से ट्रांसपोर्ट का खर्च अलग से जुड़ रहा है. तो वहीं शादी समारोहों और मांगलिक कार्यों का आयोजन भी सब्जियों के रेट में इजाफा करने का एक बड़ा कारण बना है.
गोभी 60 रुपए में, टमाटर 30 रुपए किलो, भिंडी 50 रुपए किलो, कटहल 40 रुपए किलो, नेनुआ (तरोई) 60 से 80 रुपए किलो, बैगन 40 रुपए किलो, पत्ता गोभी 20 रुपए में, सतपुतिया 50 रुपए किलो, करेला 40 रुपए किलो, हरी मिर्च 40 रुपए, लौकी 30 से 40 रुपए किलो, आलू 25 से 30 रुपए किलो, प्याज 20 से 25 रुपए किलो, शिमला मिर्च 80 रुपए किलो, गाजर 50 रुपए किलो, कोहड़ा 30 रुपए में, बोड़ा 50 रुपए, सफेद बैगन 60 रुपए किलो, अदरक 180 रुपए में. -भारत एक्सप्रेस
-भारत एक्सप्रेस
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