स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली, कवच (KAVACH) को दक्षिण मध्य रेलवे नेटवर्क (SCR) में 1465 रूट किलोमीटर (RKMs) पर सफलतापूर्वक तैनात कर दिया गया है. यह पहल प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के विजन को आगे बढ़ाने में भारतीय रेलवे द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है. कवच प्रणाली को भारतीय उद्योगों के सहयोग से अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) द्वारा विकसित किया गया है.
कवच प्रणाली लोको पायलट द्वारा ब्रेक ना लगाने कि स्थिति में स्वचालित रूप से ब्रेक लगाती है. इसे दक्षिण मध्य रेलवे के कई सेक्शन में लगाया गया है, जिसमें 144 लोकोमोटिव शामिल हैं. कवच को रीयल टाईम में मूवमेंट अथॉरिटी, रेलवे क्रॉसिंग पर ऑटोमेटिक सीटी बजाना और लोकोमोटिव के बीच कम्यूनिकेशन के माध्यम से टकराव से बचने के लिए अपडेट कर सुरक्षा में सुधार करने के लिए डिजाइन किया गया है. किसी भी दुर्घटना के मामले में यह आपातकालीन एसओएस (SOS) भी भेजेगी.
कवच की यात्रा में एक बड़ी उपलब्धि कवच 4.0 की स्वीकृति के साथ आई, जिसे जल्द ही भारतीय रेलवे में 10,000 इंजनों में स्थापित किया जाएगा. यह अपग्रेड आने वाले वर्षों में ट्रेन संचालन सुरक्षा को और बेहतर बनाने और पूरे राष्ट्रीय रेल नेटवर्क में सिस्टम की स्थापना में तेजी लाने का वादा करता है. कवच का लेटेस्ट वर्जन सनतनगर-विकाराबाद खंड में 63 RKMs के लिए पहले ही चालू किया जा चुका है और पुराने वर्जन, कवच 3.2 को नागरसोल-मुदखेड़, सिकंदराबाद-कुरनूल और बीदर-परभणी सहित कई अन्य सेक्शन में लगाया गया है.
कवच का विकास भारतीय रेलवे में सुरक्षा टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाने में हुई प्रगति को दर्शाती है. इसकी शुरुआत 2014-15 में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में हुई थी और कई वर्षों तक कड़े परीक्षणों के बाद इसे फाइनल किया गया. जुलाई 2020 में इसे अंतिम रूप से राष्ट्रीय एटीपी (Automatic Train Protection) प्रणाली घोषित कर दिया गया और जुलाई 2024 में कवच 4.0 को मंजूरी दे दी गई.
-भारत एक्सप्रेस
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