सुप्रीम कोर्ट ने केरल का त्रिशुर पूरम उत्सव केरल हाई कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों पर रोक लगा दिया है. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाथियों के बीच न्यूनतम 3 मीटर की दूरी का नियम सबसे विवादास्पद है.
जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि एक अदालत इस तरह का नियम कैसे बना सकता है? कोर्ट ने कहा कि अदालत नियम बनाने वाले प्राधिकारी का स्थान नही ले सकती, हाई कोर्ट द्वारा दिए गए नियम अव्यवहारिक है.
कोर्ट ने केरल सरकार, पशु अधिकार से संबंधित एनजीओ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले की सुनवाई के दौरान मंदिर बोर्ड की ओर से पेश वकील अभिलाषा ने कहा कि अगर हाई कोर्ट के नियम लागू होते है तो उत्सव रुक जाएगा. कोर्ट ने आदेश दिया है कि मौजूदा 2012 के नियमों के विपरीत हाई कोर्ट के किसी भी निर्देश पर रोक रहेगा.
कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में लगता है कि हाई कोर्ट द्वारा किए गए हस्तक्षेप उचित नही है. यह याचिका केरल मंदिर समितियां की ओर से दायर की गई है. केरल के तिरुवंबडी और परमेक्कावु देवासमों ने दायर याचिका में कहा है कि हाई कोर्ट का नियम हाथियों के बीच न्यूनतम 3 मीटर की दूरी को अनिवार्य बनाता है.
याचिका में यह भी कहा गया है कि त्रिशुर पूरम महोत्सव में 50 से 100 हाथियों की मौजूदगी की सुविधा है. केरल हाई कोर्ट द्वारा जारी नए दिशा निर्देश के अनुसार त्रिशुर पूरम का आयोजन नही किया जा सकता है. हाई कोर्ट द्वारा अप्रैल में दिए गए आदेश के अनुसार उत्सव में हाथियों को लाए जाने पर थीवट्टी (खंभे पर लगी आग) और चेंडा मेलम (तारवादक समूह) जैसे कार्यक्रम आयोजित करने से इंकार कर दिया था.
केरल में भीषण गर्मी को देखते हुए हाई कोर्ट ने ऐसी परिस्थितियों में दूरी बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया. इससे पहले वन विभाग ने हाथियों और भीड़ के बीच 50 मीटर की दूरी रखने संबंधी अपना आदेश वापस ले लिया था. विभाग ने मुख्य वन्यजीव वार्डन द्वारा जारी विवादास्पद परिपत्र में संशोधन किया था, जिसमेंपूजा स्थलों पर उत्सव के दौरान हाथियों की परेड पर प्रतिबंध लगाया था.
हाई कोर्ट ने वन विभाग के मुख्य वन्यजीव वार्डन को जानवरों की फिटनेस सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था और अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए फिटनेस प्रमाणपत्रों को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया था. इसके अलावे कोर्ट ने हाथियों की फिटनेस जांच के दौरान परमेक्कावु और थरुवनबाड़ी देवस्वोम के अध्यक्षों की मौजूदगी को अनिवार्य कर दिया है ताकि कार्यवाही में कोई हस्तक्षेप न हो. उन्हें समिति को अपनी राय बताने की अनुमति है. तिरुवंबडी देवासमों के सचिव गिरीश कुमार ने कहा कि त्रिशुर पूरम 36 घंटे तक चलता है. जिसके लिए एक सेक्शन के लिए 150 हाथियों की आवश्यकता होती है.
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-भारत एक्सप्रेस
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