सौरभ अग्रवाल
Varanasi News: छात्रा से छेड़खानी का मामला सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में कैंपस बंटवारे के मामले में विवाद गहराता जा रहा है. जहां एक ओर छात्रा के साथ बदसलूकी की घटना के बाद सुरक्षा के नाम पर IIT-BHU और BHU कैंपस के बीच दीवार बनाने के फैसले का छात्र लगातार विरोध कर रहे हैं तो वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उठाए जा रहे इस कदम को छात्र महामना की सोच के खिलाफ बता रहे हैं. शनिवार को सभी विभाग और संकायों में कक्षाओं का बहिष्कार कर हजारों छात्र सड़क पर उतरे और मार्च निकाल कर इसका विरोध किया. इसी के साथ सोमवार को BHU बंद का भी आह्वान किया है.
मालूम हो कि बंद के इस फैसले को सफल बनाने के लिए विद्यार्थी हॉस्टल्स में जाकर संपर्क अभियान चला रहे हैं. तो इसी के साथ ही छात्रों का कहना है कि दीवार बनाने का फैसला किस अधिकार से किया गया है, इस बारे में कुलपति और वाराणसी मंडल के कमिश्नर को उनके बीच आकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. इसके विरोध में छात्रों ने बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दी है. बता दें कि आईआईटी बीएचयू में छात्रा से छेड़खानी के बाद आईआईटी कैंपस को बाउंड्री से कवर करने की आईआईटियंस की मांग को प्रशासन ने मान लिया था और कमेटी बनाकर एक हफ्ते में इसकी जांच रिपोर्ट देने की घोषणा कर दी थी. इसके अगले दिन शुक्रवार को परिसर के अंदर चहारदीवारी बनाने को लेकर बीएचयू के छात्र लामबंद हो गए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था. छात्रों ने इस निर्णय को तत्काल वापस लेने की मांग की थी और इस कदम को छात्र ने महामना की सोच के खिलाफ बताया था. सोशल मीडिया पर लगभग सभी विचारधारा से जुड़े हुए छात्र संगठन भी प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ दिख रहे हैं. तो वहीं दीवार के खिलाफ न केवल वर्तमान बल्कि पूर्व छात्र भी खड़े हैं.
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मिली जानकारी के मुताबिक, IIT-BHU और BHU कैंपस के बीच दीवार खड़ी करने के प्रशासनिक फैसले को पूरा करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी, क्योंकि 2012 में IIT का दर्जा मिलने के दौरान जो एक्ट बना था, उसमें यह प्रस्ताव शामिल था कि IIT BHU कभी भी BHU से अलग नहीं होगा. तो वहीं इस एक्ट का हवाला देते हुए विद्यार्थियों ने कहा है कि दीवार बनाना समस्या का समाधान नहीं है. पहले से ही BHU कैंपस चारों तरफ से 12 फीट की दीवार से घिरा हुआ है. छात्रों का कहना है कि, BHU और IIT को मिलाकर करीब 90 हॉस्टल हैं, शिक्षक कर्मचारियों के 600 से अधिक आवास हैं. इसलिए सुरक्षा की बात पूरे परिसर की होनी चाहिए न केवल IIT कैंपस को घेरने की.
IIT-BHU और BHU के बीच खड़ी की जा रही दीवार को लेकर छात्रों का कहना है कि पंडित मदन मोहन मालवीय ने एक वृहद सोच के तहत विज्ञान-तकनीकी-चिकित्सा इन सभी विषयों को जोड़कर एक पूरे परिसर का निर्माण कराया था और इसके अंदर किसी भी तरह का सीमांकन करना या बाउंड्री करना महामना की सोच के खिलाफ है. इस फैसले के बेहद खफा छात्र सोशल मीडिया पर टिप्पणी कर रहे हैं और बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दे रहे हैं. सोशल मीडिया पर छात्र ने लिखा कि परिसर के अंदर बिल्कुल एक कोने में स्थापित आईआईटी परिसर में अगर कोई घटना हो रही है तो उसके लिए जिम्मेदार वहां का सुरक्षा तंत्र है. रात में 1:30 बजे परिसर के अंदर कोई अगर घूम रहा है तो प्रॉक्टोरियल गार्ड ने उसे रोक कर पूछा क्यों नहीं. दूसरी बात जिस जगह घटना हुई वहां से भागने के दो से तीन रास्ते ही हैं. सभी प्रमुख रास्तों पर सीसीटीवी है. वह सीसीटीवी काम क्यों नहीं कर रहे थे? अपराधियों की धरपकड़ अब तक क्यों नहीं हुई है. इन सवालों के जवाब से बचने के लिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय में चहारदीवारी निर्माण का एक नया शिगूफा छेड़ दिया गया जो पुलिस प्रशासन की नाकामी बताने के लिए काफी है.
-भारत एक्सप्रेस
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