1. एक तरफा चुनाव – चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत अन्य नेताओं ने धुआंधार प्रचार कर अघोषित रूप से चुनाव को एकतरफा कर लिया.
2. कमजोर रहा विपक्ष का तेवर – आम आदमी पार्टीऔर कांग्रेस गुजरात में कोई खास माहौल नहीं बना पायी. बीजेपी ने इसका लाभ उठाया और लोगों को भरोसा दिलाने का प्रयास किया कि आगे भी बीजेपी ही आ रही है.
3. नहीं बन पाया एंटी इनकंबेंसी का माहौल – बीजेपी ने गुजरात सरकार के काम गिनाने से ज्यादा मोदी सरकार की उपलब्धियों की ओर जनता का फोकस कर दिया. लोगों ने गुजरात सरकार के बजाय इस चुनाव में भी मोदी को प्राथमिकता दे दी.
4. 2017 में पाटीदार आंदोलन के चलते ज्यादा हुई थी वोटिंग – पिछले चुनाव में पाटीदार आंदोलन चल रहा था. बड़ी संख्या में लोग इस आंदोलन से प्रभावित भी थे. लोग सरकार के पक्ष में या विरोध में मतदान करने के लिए बूथ तक पहुंचे. इससे जबरदस्त वोटिंग हुई थी.
बता दें कि इस बार पहले चरण के मतदान में कुल 61 फीसदी मतदान दर्ज किया गया है जबकि इन्हीं सीटों पर 2017 में 68 फीसदी मतदान हुआ था.
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