Mathura: जानी-मानी फिल्म अभिनेत्री दिशा पाटनी ने हाथियों के प्रति अपने प्यार को प्रदर्शित किया है. ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ के मौके पर वह मथुरा स्थित वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र में पहुंचीं हैं. यहां दो दिन रुककर उन्होंने हाथियों के साथ कभी न भूल पाने वाला वक्त बिताया और जमकर उनको प्यार और दुलार किया. साथ ही उन्होंने खुद ही फल काटकर हाथियों को खिलाया और हाथियों की शानदार तस्वीरें भी कैमरे में कैद की. इस मौके पर उन्होंने मीडिया के सामने ये बात भी कही कि ये पल उनके सबसे अच्छे दिनों में से एक है.
5 जून को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ के मौके पर दिशा पाटनी ने दुनिया में पर्यावरण सम्बंधित समस्याओं के बारे में लोगों को जागरुक किया. इसी के साथ भारत में हाथियों की स्थिति के बारे में भी जानकारी प्राप्त की. बता दें कि भारत में एशियाई हाथियों का प्राकृतिक वातावरण भी पेड़ों की कटाई, प्रदूषण और गैरकानूनी तस्करी जैसे विभिन्न कारणों की वजह से खतरे में है. एशियाई हाथियों के संरक्षण की लड़ाई में अपना योगदान देने के प्रयास में दिशा पाटनी ने मथुरा स्थित वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र में समय बिताया और उन्होंने हाथियों की दिल दहला देने वाली कहानियों के बारे में जाना.
इसी के साथ उन्होंने हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र घूमने के दौरान वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस टीम के साथ बातचीत की. हाथी अस्पताल और देखभाल केंद्र में रह रहे हाथियों की दिनचर्या और उनके उपचार के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र की. बता दें कि दिशा पाटनी एक पशु प्रेमी हैं. वह हमेशा ही जानवरों की सुरक्षा और उनके हित के लिए आवाज़ उठाती रहती है. बता दें कि इस मौके पर उन्होंने उत्तर प्रदेश वन विभाग के सहयोग से वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस. की ओर से संचालित भारत के पहले और एकमात्र हाथी अस्पताल में उपलब्ध अत्याधुनिक पशु चिकित्सा सुविधाओं को भी देखा इसी के साथ उन्होंने ये भी देखा कि एन.जी.ओ के पशु चिकित्सक हाथियों को किस तरह लेजर थेरेपी और फुट केयर ट्रीटमेंट प्रदान करते हैं.
दिशा पाटनी ने हाथियों को फल व सब्जियां खुद काटकर खिलाई. इस मौके पर दिशा पाटनी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, यह मेरे जीवन के सबसे अच्छे दिनों में से एक रहा है. जहां मुझे वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस की ओर से बचाए गए हाथियों की देख-रेख और उनकी चिकित्सा देखभाल के बारे में जानने का मौका मिला है. इसी के साथ उन्होंने ये भी बताया कि, भारत के पहले हाथी अस्पताल का दौरा करना, टीम से मिलना और भारत में हाथियों की दुर्दशा और वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के काम को समझना एक अविश्वसनीय अनुभव रहा है. आगे उन्होंने कहा कि, मैंने सीखा कि एक बार जंगल से पकड़ लिए जाने के बाद, वे फिर कभी वापस नहीं जा सकते. साथ ही दिशा ने ये भी बताया कि, हाथी की सवारी करने से उसके स्वास्थ्य को जो क्षति पहुंचती है, मैंने उसके बारे में भी जानकारी हासिल की है. मुझे उम्मीद है कि लोग स्वयं आगे आएंगे और वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के संरक्षण के प्रयासों को अपना समर्थन देंगे.
मालूम हो कि, वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस और यूपी वन विभाग ने 2010 में हाथियों के हित के लिए मथुरा में पहला हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र स्थापित किया था. यह केंद्र उच्च श्रेणी की पशु चिकित्सा सुविधाओं से लैस है. बता दें कि वर्तमान में केंद्र करीब 35 पुनर्वासित हाथियों की देखभाल कर रहा है और उनको उपचार प्रदान कर रहा है. बता दें कि इन हाथियों को सर्कस में प्रदर्शन करने के साथ ही,सड़कों पर भीख मांगने, पर्यटकों को सवारी देने, और शादी में इस्तेमाल करने जैसी बेहद भयानक परिस्थितियों से बचाया गया है.
-भारत एक्सप्रेस
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