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AC कोच में मिलने वाले कंबलों की सफाई पर हुई आलोचना के बाद Indian Railway ने बदले धुलाई के नियम

Indian Railways: भारतीय ट्रेनों के एसी कोच में मिलने वाले कंबलों की सफाई और स्वच्छता को लेकर उठते सवालों के बीच उत्तर रेलवे ने बड़ा फैसला लिया है. अब कंबलों की सफाई और कीटाणुरहित करने की प्रक्रिया में बदलाव किया गया है.

उत्तर रेलवे ने घोषणा की है कि एसी कोच में यात्रियों को दिए जाने वाले कंबलों को हर 15 दिन में धोया जाएगा. इसके अलावा, गर्म नेफथलीन वाष्प (Naphthalene vapor) का उपयोग करके इन्हें कीटाणुरहित किया जाएगा. यह कदम यात्रियों को स्वच्छ और सुरक्षित यात्रा का अनुभव देने के लिए उठाया गया है.

नई तकनीक का होगा उपयोग

रेलवे ने बताया कि जल्द ही जम्मू और डिब्रूगढ़ राजधानी ट्रेनों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत Ultraviolet (UV) रोबोटिक सैनिटाइजेशन शुरू किया जाएगा. इस तकनीक के जरिए कंबलों को Ultraviolet Light से हर चक्कर के बाद साफ किया जाएगा. यह तकनीक कीटाणुओं को मारने का एक आधुनिक और प्रभावी तरीका है.

सफाई प्रक्रिया में सुधार

उत्तर रेलवे के प्रवक्ता हिमांशु शेखर ने बताया कि गर्म नेफथलीन वाष्प का उपयोग सफाई के लिए पुराना और कारगर तरीका है. इसके साथ ही सूती लिनन को हर उपयोग के बाद मशीनीकृत लॉन्ड्रियों में धोया जाता है. साफ-सफाई की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए इन्हें ‘व्हाइटोमीटर टेस्ट’ से भी गुजारा जाता है.

पहले क्या थी प्रक्रिया

2010 से पहले ऊनी कंबलों की धुलाई हर 2-3 महीने में एक बार होती थी. फिर इसे हर महीने करने का नियम बनाया गया. अब यह अंतराल और घटाकर 15 दिन कर दिया गया है. हालांकि, जिन इलाकों में लॉजिस्टिक समस्याएं हैं, वहां महीने में कम से कम एक बार कंबलों को धोना अनिवार्य है.

कंबल की सफाई पर विवाद

हाल ही में कांग्रेस सांसद कुलदीप इंदौरा ने संसद में कंबलों की धुलाई को लेकर सवाल उठाया था. इसके जवाब में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कंबलों की सफाई महीने में कम से कम एक बार होती है. इस बयान पर काफी आलोचना हुई, क्योंकि एक महीने में 30 यात्रियों के उपयोग से हाइजीन का सवाल उठता है. इसके बाद रेलवे ने सफाई प्रक्रिया को और कड़ा बनाने का निर्णय लिया.

अब उत्तर रेलवे ने स्पष्ट किया है कि वर्ष 2016 से ही कंबलों की सफाई हर महीने में दो बार की जाती रही है. साथ ही, यात्रियों की सुविधा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए नई तकनीकों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.

-भारत एक्सप्रेस

Prashant Rai

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