जर्मनी के बॉन शहर में जलवायु सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसे इस साल के अंत में दुबई में COP28 बैठक के रन-अप के रूप में देखा जा रहा है. जलवायु सम्मेलन में भारत और अन्य विकासशील देशों ने मांग की है कि ग्लोबल स्टॉकटेक को इक्विटी और ऐतिहासिक जिम्मेदारी के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित किया जाए.
बता दें कि ग्लोबल स्टॉकटेक (जीएसटी) पेरिस समझौते के कार्यान्वयन की समीक्षा करने की प्रक्रिया है और ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने और इसे पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस के नीचे रखने का लक्ष्य है. भारत ने मंगलवार को ग्लोबल स्टॉकटेक पर तकनीकी संवाद के दौरान अपनी बात रखने के लिए हस्तक्षेप किया. बॉन में पार्टियों से तकनीकी चर्चा समाप्त करने और दुबई से आगे जीएसटी पर राजनीतिक संदेशों को आगे बढ़ाने के लिए उम्मीद की जाती है. जाहिर है कि उत्सर्जन के वर्तमान स्तरों पर, दुनिया पेरिस समझौते के लक्ष्यों से काफी दूर है, और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार, 2.7 डिग्री सेल्सियस वार्मिंग की ओर बढ़ रहा है.
विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने 15 मई को चेतावनी दी थी कि 66% संभावना है कि वार्षिक वैश्विक सतह का तापमान अस्थायी रूप से अगले पांच वर्षों में से कम से कम एक के लिए पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाएगा. इन अनुमानों में COP28 ग्लोबल स्टॉकटेक (GST) को न केवल वैश्विक स्तर पर आवश्यक उत्सर्जन में कमी के व्यापक अंतर को दिखाना चाहिए, बल्कि पेरिस समझौते के लिए दुनिया को वापस पटरी पर लाने के लिए राजनीतिक सहमति भी प्राप्त करनी है.
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जीएसटी में क्या शामिल होना चाहिए, इस संदर्भ में भारत ने कहा: “हम जीएसटी से किसी भी निर्देशात्मक संदेश का समर्थन नहीं करेंगे कि हमारे एनडीसी की सामग्री क्या होनी चाहिए. पेरिस समझौते के तहत पार्टियां अपने लक्ष्यों की खोज में अपने जलवायु लक्ष्यों को निर्धारित करने और उन्हें अपने एनडीसी में दिखाने के अधिकार को बरकरार रखती हैं. जिसके तहत भारत इस बात का समर्थन नहीं करता है कि एनडीसी जरूरी तौर पर अर्थव्यवस्था व्यापक होनी चाहिए. जिसमें सभी क्षेत्र या गैस शामिल हों.
एक संयुक्त बयान में सभी देशों ने सहमति जताई. सभी पक्षों से कहा गया कि “पेरिस समझौते के दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए साझा प्रतिबद्धता के साथ अपने राष्ट्रीय प्रयासों को संरक्षित करने का आग्रह करना शामिल है. जिसमें वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच के भीतर रखने के प्रयास, पेरिस समझौते के तहत पहले ग्लोबल स्टॉकटेक के पूरा होने को सुनिश्चित करने पर भी सहमत हुए। जो उत्सर्जन में कटौती, बढ़े हुए लचीलापन और वित्त प्रवाह को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ने वाली जलवायु कार्रवाई की सूचना देता है. एक उचित ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में प्रगति करना जिसमें विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा का स्केलिंग-अप शामिल है, और बेरोक-टोक जीवाश्म ईंधन से मुक्त ऊर्जा प्रणालियों की दिशा में संक्रमण के लिए नीतियां बनाने के साथ ही निवेश जरूरी है. दूसरों के बीच कमजोर देशों में नुकसान और क्षति को दूर करने के लिए कोष का संचालन करना.
-भारत एक्सप्रेस
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