देश

‘ऑपरेशन चक्र’ में दबोचे गए 43 साइबर ठगों ने गिरफ्तारी को दी चुनौती, अदालत ने खारिज कर दी सभी की याचिका

Delhi News: ऑपरेशन चक्र पार्ट 2 के तहत गिरफ्तार सभी 43 साइबर ठगों द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने खारिज कर दिया है। गिरफ्तार सभी साइबर ठगों ने सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी को चुनौती दी थी।

कोर्ट ने सभी आरोपियों की ओर से दायर जमानत याचिका को भी खारिज कर दिया है। गिरफ्तार 43 आरोपियों में से 3 आरोपियों को 4 दिनों की सीबीआई रिमांड पर भेज दिया है। बाकी 40 आरोपियों को कोर्ट ने 9 अगस्त तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने तीन आरोपियों की सात दिन की कस्टडी की मांग की थी, जबकि 40 को न्यायिक हिरासत मे भेजने को कहा था।

आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत: सीबीआई

सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को कि य़ह बहुत गंभीर मामला है, इसके तार विदेश से जुड़े हुए है। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले है लेकिन अभी तक इसके मास्टरमाइंड का पता नहीं चला है। सीबीआई ने कहा कि हमने तीन लोगों की पहचान की है जिनसे पूछताछ के जरिए इस पूरे अपराध की साजिश की तह तक पहुंचा जा सकता है। इस मामले में और बरामदगी की जा सकती है, हमारे पास विदेशी नागरिकों से बातचीत की रिकॉर्डिंग मौजूद है। इस बातचीत में इनके अपराध के अंजाम के तरीके के बारे में बात की गई है। 15 मिलियन US डॉलर के लेन देन का हमे शक है। इसकी तह तक जाने के लिए कस्टडी ज़रूरी है।

आरोपियों के वकील ने दिया पुराने फैसलों का हवाला

आरोपियों के वकील ने कई सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि इन फैसलों में दी गई व्यवस्था के मुताबिक इस केस में आरोपियों की गिरफ्तारी पूरी तरह अवैध और गैरकानूनी है। क्योंकि इस मामले में CBI ने आरोपियों को हिरासत में लेने के 24 घन्टे की समय सीमा में कोर्ट में पेश नहीं किया। आरोपियों के वकील ने दलील दी कि कोर्ट से सर्च वारंट लेने के बाद 24 जुलाई को सीबीआई ने कॉल सेंटर में सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। इन सबको बाहर जाने की इजाज़त नहीं थी। लेकिन आरोपियों को सीबीआई ने 26 जुलाई को कोर्ट के सामने पेश किया। इस लिहाज से देखा जाए तो ये 24 जुलाई से 26 जुलाई तक सीबीआई हिरासत में ही थे। चूंकि इस केस में 24 घंटे की समयसीमा में आरोपियों को कोर्ट में पेश नहीं किया गया। इस लिहाज से गिरफ्तारी और रिमांड रद्द होनी चाहिए। इसके अलावा आरोपियों के वकील की ओर से सीबीआई ने गिरफ्तारी और रिमांड से जुड़ी ज़रूरी क़ानूनी प्रकिया का सीबीआई ने पालन नहीं किया। एजेंसी ने आरोपियों की गिरफ्तारी का आधार नहीं बताया गया। हमें FIR और रिमांड की कॉपी भी नहीं दी गई।

सभी साइबर ठग गुरुग्राम में कॉल सेंटर चलाते थे

आज भी कोर्ट के कहने के बाद रिमांड की कॉपी आरोपियों के वकील को उपलब्ध कराई गई है। ये सभी साइबर ठग गुरुग्राम में कॉल सेंटर का संचालन करते थे और यहीं से ऑनलाइन विदेशी नागरिकों से ठगी की वारदात को अंजाम देते थे। सीबीआई ने यह कार्रवाई साल 2022 देश में चल रहे साइबर फाइनेंशियल क्राइम के नेटवर्क नष्ट करने के लिए शुरू किया था। सीबीआई इस साइबर गिरोह पर रोक लगाने में कामयाब रही है। इसके लिए सीबीआई को कई देशों की एजेंसियों जैसे एफबीआई और इंटरपोल की मदद लेनी पड़ी है।

वहीं, छापेमारी के दौरान सीबीआई ने अब तक 130कंप्यूटर हार्ड डिस्क, 65 मोबाइल फोन, 5 लैपटॉप, आपत्तिजनक दस्तावेज, वित्तीय लेनदेन विवरण, कॉल रेकॉर्डिंग, पीड़ितों का विवरण और पीड़ितों को निशान बनाने के लिए इस्तेमाल की गई टेप बरामद की है। सीबीआई की जांच में पता चला है कि अपराध की आय कई देशों से हॉंगकॉंग में लाई गई थी।

सीबीआई ने 76 स्थानों पर छापेमारी की थी

सीबीआई के मुताबिक, वारदात को अंजाम देने के लिए आरोपी लोगों के कम्प्यूटर पर एक पॉप अप भेजकर संदिग्ध सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने के लिए कहते थे। इसके बाद वह उनके सिस्टम को रिस्टोर करने के नाम पर पैसे ट्रांसफर करवाते थे। इससे पहले सीबीआई ने 2023 में इस अभियान के तहत 76 स्थानों पर छापेमारी की थी। यह छापेमारी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में कई गई थी।

इस मामले में कुल 5 मामले दर्ज किए गए हैं। उस दौरान सीबीआई ने 32 मोबाइल फोन, 48 लैपटॉप, हार्ड डिस्क और पेन ड्राइव बरामद किए थे। साइबर अपराधियों के रैकेट ने भारतीय नागरिकों के 170 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है। सीबीआई ने इस मामले में 22 जुलाई 2024 को केस दर्ज किया था। इसके बाद दिल्ली और गुरुग्राम की 7 लोकेशन पर छापेमारी की थी।

गुरुग्राम की डीएलएफ साइबर सिटी से कॉल सेंटर चलाया जा रहा था। बतादे कि गिरोह के लोगों से चाइनीज कंपनी अलग-अलग देशों से नागरिकों से ठगी करवाती थी। अलग-अलग देशों में साइबर फाइनेंशियल क्राइम को कराया जाता था और ठगी का पैसा हॉन्गकॉन्ग भेजा जाता था। इस कंपनी का नाम Innonet technology (opc) pvt limited है।

गोपाल कृष्ण

Recent Posts

इस साल 8 महीनों में करीब 62 लाख विदेशी पर्यटक आए भारत: केंद्रीय पर्यटन मंत्री

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि मंत्रालय द्वारा 'चलो इंडिया' पहल की शुरुआत भारतीय प्रवासियों को…

7 mins ago

साल 2023 में कुल 9.52 मिलियन विदेशी पर्यटक पहुंचे भारत, पर्यटन मंत्री ने संसद में पेश किया आंकड़ा

Indian Tourism Industry: केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को संसद में बताया…

43 mins ago

प्राकृतिक खेती से बदलेगी किसानों की किस्मत! मोदी सरकार ने ‘नेशनल मिशन ऑन नैचुरल फार्मिंग’ को दी मंजूरी

राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के अंतर्गत, किसानों के लिए जैविक खेती की आसान उपलब्धता सुनिश्चित…

1 hour ago

भारतीय रेल ने साल 2014 से अब तक 500,000 कर्मचारियों की भर्ती की, बोले- रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव

Indian Railway Recruitment: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को कहा कि पिछले दशक में…

2 hours ago

किआ इंडिया ने किया 1 लाख सीकेडी यूनिट्स का निर्यात, 2030 तक 50 फीसदी वृद्धि का रखा लक्ष्य

Kia India CKD Exports: किआ इंडिया के मुख्य बिक्री अधिकारी जूनसू चो ने कहा, “हमारा…

2 hours ago

जम्मू-कश्मीर के इतिहास में आज पहली बार मनाया जा रहा संविधान दिवस, जानें, पहले क्यों नहीं सेलिब्रेट किया जाता था Constitution Day

जम्मू-कश्मीर अपने स्वयं के संविधान और ध्वज के साथ संचालित होता था, जहां सरकार के…

2 hours ago