दिल्ली हाइकोर्ट ने एक वकील को स्वतः संज्ञान लेकर आपराधिक अवमानना के मामले में बरी कर दिया है.कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पीड़ित मानसिक बीमारियों से ग्रसित था, कोर्ट ने दिल्ली बार काउंसिल से यह आकलन करने को कहा है कि क्या वह कानूनी पेशे में बने रहने के लिए फिट है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दिया है.पीठ ने कहा कि वकील उन कारणों से निराश हो रहा था, जिनके बारे में वह अच्छी तरह जानता था, उसकी दृष्टि बहुत कमजोर थी और वह पढ़ने और लिखने में असमर्थ था.
कोर्ट ने कहा कि वकील को यह भी नही पता है कि क्या और कैसे बोलना है और उसकी मेडिकल रिपोर्ट को देखते हुए बरी किया जाता है. वही न्यायमूर्ति मनोज जैन ने अपने आदेश में कहा की अदालत के प्रति दिखाए गए अनादर के लिए उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करना सही नही होगा. कोर्ट ने वकील को चेतावनी देते हुए कहा कि जब भी वह किसी मामले में किसी भी अदालत में पेश होगा तो वह अदालत की गरिमा को बनाये रखेगा.
-भारत एक्सप्रेस
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