दिल्ली हाईकोर्ट ने राजन बाबू फेफड़े एवं क्षय रोग संस्थान में दवाओं की कथित अनुपलब्धता से संबंधित एक जनहित याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी है. अदालत को सूचित किया गया था कि शहर में मौजूदा भंडार कुछ सप्ताह तक चलेगा और शेष आपूर्ति की प्रक्रिया जारी है. इसके बाद अदालत ने याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी.
हाईकोर्ट को केंद्र सरकार एवं दिल्ली राज्य स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक ने सूचित किया कि अस्पताल में दवाओं की मौजूदा भंडार कुछ सप्ताह तक चलेगा और शेष की आपूर्ति प्रक्रिया चल रही है.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि सरकार के हलफनामे के अनुसार अस्पताल में 4 एफडीसी (ए) दवा का भंडार एक महीने के लिए पर्याप्त है. इसके अलावा 3 एफडीसी (ए) दवा का भंडार तीन सप्ताह के लिए पर्याप्त है और बांकी की आपूर्ति प्रक्रिया चल रही है. इस दशा में वर्तमान याचिका पर कार्यवाही बंद की जाती है.
केंद्र एवं दिल्ली राज्य स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक ने अदालत में हलफनामा दाखिल कर दिल्ली के भंडारण गृहों में दवाओं की उपलब्धता के साथ उसकी आपूर्ति का विवरण दिया था.
याचिकाकर्ता एनजीओ ‘सोशल ज्यूरिस्ट’ ने इस साल की शुरुआत में याचिका दाखिल कर कहा था कि अस्पताल में एकमात्र अल्ट्रासाउंड मशीन काम नहीं कर रही है. पिछले छह महीनों से आवश्यक दवाएं उपलब्ध नहीं हैं. उनके वकील अशोक अग्रवाल ने कहा था कि गरीब मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
केंद्र ने पहले अदालत को आश्वासन दिया था कि टीबी रोधी दवाओं की आपूर्ति में तेजी लाने के लिए सक्रिय कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि जमीनी स्तर पर रोगी की देखभाल प्रभावित न हो. अल्ट्रासाउंड मशीन के बारे में एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) ने आश्वसन दिया कि संस्थान में उक्त मशीन पूरी तरह काम कर रही है.
-भारत एक्सप्रेस
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