दिल्ली हाई कोर्ट ने आयकर विभाग को निर्देश दिया है कि वह 2012 में सीबीआई द्वारा गौतम थडानी नामक व्यक्ति से जब्त 98 लाख रुपये लौटाए. यह मामला रक्षा बलों के लिए हाई मोबिलिटी वाहनों की खरीद के लिए जनरल वी के सिंह को कथित तौर पर रिश्वत देने के मामले में दर्ज किया था. कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि यदि थडानी के खिलाफ कोई आरोप नही लगाया गया है तो जब्त राशि को लौटाया जाए.
कोर्ट ने कहा मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि अधिनियम की धारा 153ए के तहत मूल्यांकन तैयार करने की समय अवधि समाप्त हो गई है. निःसंदेह यदि अधिनियम की धारा 153 ए के तहत मूल्यांकन तैयार करने की समय अवधि समाप्त हो गई है, और कोई बकाया मांग नहीं रहा हैं तो आयकर अधिकारियों के पास जब्त नकदी को अपने पास रखने का कोई औचित्य नही है.
थडानी ने दावा किया है कि सीबीआई द्वारा जब्त की गई राशि वैध थी, उनकी कंपनी की नकद बिक्री (मेसर्स ग्लोबल हेल्थलाइन) से 18, 50,000 जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था. हालांकि अधिकारियों ने इन स्पष्टीकरणों को अपर्याप्त माना. शुरुआती जब्ती के कई साल बाद 2016 में आयकर अधिनियम की धारा 132 ए के तहत धन के लिए एक अनुरोध जारी किया गया था. थडानी ने आयकर विभाग की मांग की वैधता को चुनौती देते हुए और जब्त की गई नकदी की वापसी के लिए तर्क देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
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थडानी ने तर्क दिया कि देरी अनुचित थी, मांग में कानूनी आधार का आभाव था और धन के स्रोत के बारे में उनके स्पष्टीकरण पर्याप्त थे. इस मामले में तलाशी वारंट 15 दिसंबर 2016 को निष्पादित किया गया था. अदालत ने कहा कि यदि धारा 153 ए के तहत मूल्यांकन अवधि समाप्त हो गई है और याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई मांग नही उठाई गई है, तो आयकर अधिकारियों के पास जब्त नकदी को अपने पास रखने का कोई कानूनी औचित्य नहीं है.
-भारत एक्सप्रेस
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