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साउथ इंडियन बैंक में फर्जीवाड़ा,खाते से उड़ाए 2 लाख,पीड़ित का आरोप-बैंक झाड़ रहा है पल्ला

नोएडा (गौतम बुद्द नगर) के एक साउथ इंडियन बैंक में धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. ऐलोपेसिया हर्बल ट्रीटमेंट सेंटर चलाने वाले डॉ विवेक गिरी के अनुसार उनके जाली हस्ताक्षर करके उनके बैंक अकाउंट से 2 लाख रुपये निकाले गए. इस जालसाजी के मामले पर विवेक गिरी ने बैंक के ही अधिकारियों और कर्मचारियों की मिली भगत का आरोप लगाते हुए नोएडा सेक्टर 20 में केस दर्ज कराया है. पीड़ित ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग करते हुए पैसों को रिकवरी कराने की मांग की है. प्राथमिकी के बाद पुलिस ने धोधाधड़ी के तहत मामले दर्ज करके आरोपियों से पूछताछ  शुरू कर दी है.

RBI के नियमों की उड़ी धज्जियां

पीड़ित व्यक्ति विवेक गिरी ने बैंक पर आरबीआई के नियमों की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगाया है. गिरी ने  पुलिस और बैंक विभाग को शिकायत पत्र में विस्तृत में बताया है कि कैसे उनके साथ बैंक ने पैसों की ठगी की गई है. इस पत्र में गिरी ने लिखा है कि किसी विनोद गिरी नाम के शक्स ने मेरे एक कैंसल चेक का इस्तमाल करके उनके जाली हस्ताक्षर बनाएं  और पैसे मेरे खाते से 2 लाख रुपये की निकासी की. उन्होंने बैंक पर आरोप लगाते हुए कहा कि, इस बारे में बैंक अधिकारियों ने मुझे किसी भी प्रकार की कोई सूचना नहीं दी. जबकि RBI की गाइड लाइंस के मुताबिक उस फर्जी व्यक्ति की EKYC चेक की जांच और CIF के नियम को फॉलो किया जानी चाहिए था. लेकिन बैंक के अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया जिससे साफ है कि वो भी इस जालसाजी में शामिल थे.

बैंक ने अपना पल्ला झाड़ा

बैंक में धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा का मामला आये दिन सुनने को मिलते हैं. धोखाधड़ी के केस में बैंक अपने ग्राहकों का पूरा सहयोग भी करता है और पैसों की रिकवरी कराने का प्रयास भी करता है. लेकिन विवेक गिरी के मामले में साउथ इंडियन बैंक अपना पल्ला झाड़ने में लगा  हुआ है. विवेक ने शिकायत पत्र में आप बीती बताते हुए लिखा कि जब उसे पता चला कि उसके खाते से 2 लाख रुपए निकाले गए है तो वो तुरंत बैंक पहुंचे और इसकी शिकायत की. लेकिन  विवेक गिरी का बैंक के मैनेजर आशीष झा , प्रज्ञा प्रमाणिक, लक्ष्मी और कर्मचारियों  पर आरोप है कि वो मामले पर उनका सहयोग नहीं कर रहे हैं.पीड़ित विवेक गिरी के मुताबिक बैंक कर्मी ये कहकर बात टाल रहे हैं कि उनके सिग्नेचर सही थे और इंस्ट्रूमेंट  पहचानने में भी कोई गड़बड़ी नजर नहीं आ रही थी.ऐसे में सवाल ये है कि गड़बड़ी कहां और किस स्तर पर हुई.

-भारत एक्सप्रेस

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