देश

पिता द्वारा बच्चों के पितृत्व को स्वीकार करने से इनकार करना और पत्नी के खिलाफ विवाहेतर संबंध के निराधार आरोप लगाना मानसिक क्रूरता: हाईकोर्ट

उच्च न्यायालय ने हाल ही में माना कि एक पिता द्वारा बच्चों की पितृत्व को स्वीकार करने से इनकार करना और पत्नी के खिलाफ विवाहेतर संबंध के निराधार आरोप लगाना पत्नी के खिलाफ मानसिक क्रूरता का कार्य है।

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह के आरोप चरित्र, सम्मान और प्रतिष्ठा पर गंभीर हमला हैं और क्रूरता का सबसे खराब रूप हैं।

कोर्ट ने कहा इस तरह के अप्रमाणित दावे, जो मानसिक पीड़ा, पीड़ा और पीड़ा का कारण बनते हैं, वैवाहिक कानून में क्रूरता की पुनर्निर्मित अवधारणा के बराबर होने के लिए अपने आप में पर्याप्त हैं। पीठ ने पारिवारिक अदालत द्वारा पति की तलाक की याचिका को खारिज करने को फैसले को बरकरार रखते पति की अपील को खारिज कर दिया।

पीठ ने कहा पारिवारिक न्यायाधीश ने ठीक ही कहा है कि विवाहेतर व्यक्ति के साथ अपवित्रता और अशोभनीय परिचय के घृणित आरोप लगाना और विवाहेतर संबंध के आरोप, पति-पत्नी के चरित्र, सम्मान, प्रतिष्ठा, स्थिति के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर हमला है।

इस तरह के निंदनीय, पति-पत्नी पर लगाए गए विश्वासघात के निराधार आरोप और यहां तक कि बच्चों को भी नहीं बख्शना, अपमान और क्रूरता का सबसे खराब रूप होगा, जो अपीलकर्ता को तलाक मांगने से वंचित करने के लिए पर्याप्त है। यह एक ऐसा मामला है जहां अपीलकर्ता ने खुद गलती की है और उसे तलाक का लाभ नहीं दिया जा सकता।

पति ने तर्क रखा कि वह सितंबर 2004 में अपनी पत्नी से मिला और अगले साल शादी कर ली। उन्होंने कहा कि जब वह नशे में था तब महिला ने उसके साथ यौन संबंध स्थापित करने के बाद उस पर शादी करने का दबाव डाला और बाद में उसे बताया कि वह गर्भवती थी।

अपीलकर्ता-पति ने आगे आरोप लगाया कि पत्नी ने आत्महत्या करने की धमकी दी और उसके कई पुरुषों के साथ अवैध संबंध थे। मामले पर विचार करने के बाद कोर्ट ने पति के आरोपों को खारिज कर दिया।

पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता अपनी सेवा छोड़ने के बाद परिवार की जिम्मेदारी लेने में विफल रहा और प्रतिवादी-पत्नी को न केवल वित्तीय बोझ उठाना पड़ा बल्कि बच्चों की देखभाल और घरेलू जिम्मेदारियों के लिए भी संघर्ष करना पड़ा।

कोर्ट ने फैसला सुनाया कि पति पत्नी पर लगाए गए किसी भी आरोप को साबित नहीं कर पाया। उन्होंने आत्महत्या करने की धमकियों और आपराधिक मामलों में फंसाने के संबंध में अस्पष्ट और सामान्य आरोप लगाए हैं। जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है, यह प्रतिवादी है जो क्रूरता का शिकार हुआ है न कि अपीलकर्ता।

— भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

Recent Posts

UP के झांसी मेडिकल कॉलेज में बड़ा हादसा: शिशु वार्ड में भीषण आग लगने से 10 नवजात बच्चों की मौत, बचाव कार्य जारी

झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष में शुक्रवार…

2 hours ago

Gomati Book Festival 2024: गोमती पुस्तक महोत्सव में बढ़ी पुस्तकों की ​बिक्री

Gomati Book Festival 2024: गोमती पुस्तक मेला में पिछले वर्षों की तुलना में लगभग 30…

3 hours ago

NCB ने दिल्ली से कई सौ करोड़ की कोकिन पकड़ी, ऑस्ट्रेलिया भेजने की फिराक में था आरोपी

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नशा मुक्त भारत के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते…

3 hours ago

भारत बनेगा चीन की तरह प्रमुख इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता: Mark Mobius

हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10,900 करोड़ रुपये के वित्तीय प्रावधान के साथ पीएम…

4 hours ago

भारत की 3.5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हर पांच साल में दोगुनी होगी: विशेषज्ञ

मास्टरकार्ड के एशिया पैसिफिक के अध्यक्ष अरी सरकार ने इस बात को हाईलाइट किया कि…

4 hours ago

भारतीय रेलवे 96 प्रतिशत विद्युतीकरण के करीब; अफ्रीकी देशों को होगा डीजल इंजन का निर्यात

भारतीय रेलवे स्टील और खनन उद्योगों में उपयोग के लिए अफ्रीका को 20 डीजल इंजन…

5 hours ago