सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया
भारत अपनी स्पेशल फोर्सेज को और अधिक आधुनिक और घातक बनाने के लिए नई तकनीकों को शामिल कर रहा है. इनमें नैनो ड्रोन, लॉइटर म्यूनिशन (भटकने वाले विस्फोटक) और उन्नत संचार प्रणाली जैसे उपकरण शामिल हैं.
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, यह अपग्रेडेशन लगातार चलने वाली प्रक्रिया का हिस्सा है. स्पेशल फोर्सेज को और घातक बनाने के लिए ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) और वर्चुअल रियलिटी (VR) आधारित मिशन प्लानर और सिमुलेटर को भी जल्द ही प्रशिक्षण में शामिल किया जाएगा.
भारतीय सेना में 10 पैरा-स्पेशल फोर्सेज और 5 पैरा (एयरबोर्न) बटालियन हैं, जिनमें हर एक में लगभग 620 जवान होते हैं. भारतीय वायुसेना (IAF) की गुरुड़ कमांडो यूनिट में 1,600 से ज्यादा कमांडो हैं, जबकि भारतीय नौसेना (Navy) के पास 1,400 से अधिक मरीन कमांडो (मार्कोस) हैं.
हालांकि, भारत में अब तक एक पूर्ण विशेष अभियान कमान (Special Operations Command) नहीं है, जिससे ऑपरेशन्स में समन्वय की चुनौती बनी रहती है. इस कमी को दूर करने के लिए सशस्त्र बलों की विशेष अभियान डिवीजन (AFSOD) बनाई गई है, जो सेना, वायुसेना और नौसेना के कमांडोज के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित करने का काम कर रही है.
सूत्रों के मुताबिक, नई सॉफ्टवेयर-डिफाइंड रेडियो (SDR) और सैटेलाइट संचार प्रणालियों को शामिल किया गया है. यह तीनों सेनाओं के कमांडोज को बेहतर और निर्बाध संचार में मदद कर रहा है.
इसके अलावा, लॉइटर म्यूनिशन सिस्टम से पैरा-स्पेशल फोर्सेज की सटीक हमले (Precision Targeting) की क्षमता में बढ़ोतरी हुई है. साथ ही, रिमोटली-पायलटेड एरियल व्हीकल्स (RPAVs), नैनो ड्रोन, सर्विलांस कॉप्टर और FLIR (फॉरवर्ड लुकिंग इन्फ्रारेड) सिस्टम के जरिए 10 किलोमीटर तक की निगरानी संभव हो रही है.
दुश्मन के इलाकों में गुप्त घुसपैठ (Stealth Operations) बेहद महत्वपूर्ण होती है. इसके लिए नई “कॉम्बैट फ्री-फॉल पैराशूट प्रणाली” को शामिल किया गया है. इसके अलावा, “इंटीग्रेटेड कॉम्बैट डाइविंग किट” भी खरीदी जा रही है, जिससे कमांडो समुद्र के नीचे लंबे समय तक ऑपरेट कर सकें. सूत्रों के मुताबिक, नए गाइडेड एरियल डिलीवरी सिस्टम के जरिए अब कमांडोज शत्रु क्षेत्र में अधिक समय तक स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं.
भारतीय स्पेशल फोर्सेज के पास पहले से ही कई घातक और आधुनिक हथियार हैं. इनमें शामिल हैं:
भारतीय सेना ने हिमाचल प्रदेश के बकलोह में अपनी पहली वर्टिकल विंड टनल (Vertical Wind Tunnel) स्थापित की है. यह विशेष रूप से स्पेशल फोर्सेज के जवानों के “कॉम्बैट फ्रीफॉल” स्किल्स को बेहतर बनाने के लिए तैयार की गई है.
ये भी पढ़ें- भारत को लगातार तीसरे साल 100 अरब डॉलर से ज्यादा का रेमिटेंस मिला
-भारत एक्सप्रेस
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को पुर्तगाल की अपनी राजकीय यात्रा शुरू करते हुए सांता…
मेरठ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) अशोक कटियार ने इस खबर की पुष्टि की. उन्होंने…
सीबीआई ने नॉर्दर्न रेलवे के दो अधिकारियों और एक निजी वेंडर को 7 लाख रुपये…
Haryana News: हरियाणा के सिरसा जिले के एक सैलून चलाने वाले गरीब व्यक्ति राकेश कुमार…
बलिया में आयोजित जगदीश्वर निगम जयंती समारोह में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने 1942 की…
यह आयोजन एक वैश्विक पहल है, जिसमें 108 से अधिक देशों के लोग भाग लेंगे.…