देश

सीमाओं पर फिर से बौद्ध लोककथाओं को पुनर्जीवित करेगा भारत

India: भारत के लिए प्रसिद्ध लेखक राहुल सांकृत्यायन (1893-1963) द्वारा पहली बार तिब्बत से प्राप्त पांच शास्त्रीय तिब्बती बौद्ध ग्रंथों के लंबे समय से प्रतीक्षित हिंदी अनुवाद अब मुद्रण के लिए निर्धारित हैं. तिब्बती अध्ययन (CIHTS) ने 2019 में इन प्राचीन तिब्बती बौद्ध पांडुलिपियों का हिंदी में अनुवाद करने का कठिन प्रयास किया, लेकिन इस परियोजना ने बौद्ध धर्म की गहन शिक्षाओं और दर्शन को व्यापक दर्शकों तक पहुंचाने का प्रयास किया.

भूटान लाइव की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मिशन के समर्थन में बिहार सरकार ने हिंदी संस्करणों की छपाई लागत के लिए 19.4 मिलियन रुपये अलग रखे थे. CIHTS को अब तक 1.55 मिलियन रुपये (USD18,700) की प्रारंभिक धनराशि प्राप्त हुई है. प्रकाशन की प्रतीक्षा कर रहे पवित्र ग्रंथों की सूची में कर्म विभंग सूत्र, प्रज्ञापारमिताहृदय सूत्र, आचार्य दीपंकर श्रीज्ञान (980-1053) द्वारा एक संग्रह, मध्यमकलंगकर कारिका भाष्य एवं टीका, और अन्य दुर्लभ पांडुलिपियों का वर्गीकरण शामिल है.

एक शोधकर्ता ने स्पष्ट किया, “ये बौद्ध धर्म और उसके दर्शन पर ताड़ के पत्तों पर लिखे गए मूल संस्कृत ग्रंथों के तिब्बती संस्करण हैं, जो प्राचीन नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों में रखे गए थे.” इन पांडुलिपियों को बौद्ध धर्म के अनुवाद और प्रसार के लिए 7वीं और 11वीं शताब्दी के बीच तिब्बत ले जाया गया था. इसके बाद हाथ से बने कागज और प्राकृतिक स्याही का उपयोग कर विद्वानों की देखरेख में इनका तिब्बती में अनुवाद किया गया.”

प्रो. गेशे नवांग समतेन ने बताया कि इस तिब्बती साहित्य का हिंदी में अनुवाद करने से न केवल बिहार के लोगों बल्कि पूरे देश को लाभ होगा. सैकड़ों खंड ज्योतिष, तंत्र, ध्यान, चिकित्सा, दर्शन, न्याय और कानून सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करते हैं. इन अनुवादित ग्रंथों में पुरानी नालंदा ज्ञान विरासत के संरक्षण और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता है. सीआईएचटीएस (CIHTS) के एक प्रतिनिधि ने कहा, “हमारे उप-कुलपति, प्रो. गेशे न्गवांग समतेन ने पिछले साल दो बार मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है और परियोजना पर चर्चा करने और धन की दूसरी किश्त हासिल करने के लिए इस अप्रैल में राजगीर में उनसे व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की.”

राहुल सांकृत्यायन, जिन्हें “हिंदी यात्रा साहित्य के जनक” के रूप में जाना जाता है, एक भाषाविद् होने के साथ-साथ एक रचनात्मक बहुश्रुत भी थे. वह संस्कृत, पाली और तिब्बती में धाराप्रवाह था, और वह साहित्य, दर्शन, दुर्लभ पुस्तकों और कला में पारंगत था। तिब्बत की अपनी चार यात्राओं के दौरान, सांकृत्यायन ने 10,000 से अधिक तिब्बती पांडुलिपियां एकत्र कीं. 

– भारत एक्सप्रेस

Rahul Singh

Recent Posts

दिल्ली शराब नीति: सुप्रीम कोर्ट ने कहा आरोपी की जमानत याचिका का निपटारा करे दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में आरोपी अमनदीप ढल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने…

2 hours ago

JP Nadda Kundli: जेपी नड्डा के नेतृत्व में BJP लहरा पाएगी जीत का परचम? क्या कहते हैं उनके ग्रह-नक्षत्र

JP Nadda Kundli: बीजेपी अध्यक्ष नड्डा की कुंडली कुंभ लग्न की है और इनका केतु…

2 hours ago

भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह का मुस्लिमों को लेकर बड़ा बयान, बोले- ‘कोई कहे न कहे, आप हमारा ही खून हो…’

लोकसभा चुनाव के बीच कैसरगंज लोकसभा सीट से निवर्तमान भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने…

3 hours ago

अब तक नहीं आया Tax Refund तो तुरंत करें ये काम, वरना भरना पड़ सकता है जुर्माना

अगर आपका टैक्स टोटल देनदारी से ज्यादा कटा है तो आप इनकम टैक्स स्लैब के…

5 hours ago

मुरथल हत्याकांड का गुनहगार “गोली” मुठभेड़ में हुआ ढेर, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जवाबी कार्रवाई में दिया अंजाम

गैंगस्टर अजय सिंगरोहा उर्फ 'गोली' मुरथल के गुलशन ढाबे के बाहर की गई नृशंस हत्या…

5 hours ago