Supreme Court on PFI Landlord: आपराधिक मामलों में जेल में बंद PFI सदस्यों के मकान मालिक द्वारा सहायता करने के मामले में गिरफ्तार मकान मालिक को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने मकान मालिक को जमानत देते हुए कहा-विशेष क़ानूनों में भी जेल नहीं जमानत का नियम है. अगर मामला बनने पर अदालतें जमानत देना बंद कर देती हैं, तो यह आरोपी के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है. इसलिए, हम जमानत दे रहे हैं. जस्टिस अभय एस ओका की बेंच ने कहा जमानत नियम है और जेल अपवाद, ये नियम विशेष कानूनों में भी लागू होगा. अगर कानून के तहत अदालतें जमानत देने से मना करती हैं तो ये आरोपी के जीने के अधिकार का उल्लंघन है.
कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष के आरोप बहुत गंभीर हो सकते हैं, लेकिन अदालत का कर्तव्य कानून के अनुसार मामले पर विचार करना है. बता दें कि मकान मालिक पर PFI के सदस्यों की मदद करने का आरोप है. पीएफआई के इन सदस्यों पर देश के खिलाफ षडयंत्र रचने और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है.
पीएफआई को 2007 में दक्षिण भारत में तीन मुस्लिम संगठनों, केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट इन केरल, कर्नाटक फोरम डिग्निटी और तमिलनाडु में मनिथा नीति पासराई के विलय के जरिये स्थापित किया गया. दरअसल केरल के कोझिकोड में नवंबर 2006 में एक बैठक का आयोजन हुआ, जहां पर तीनों संगठनों को एक साथ लाने का फैसला किया गया. पीएफआई की गठन की औपचारिक घोषणा 16 फरवरी 2007 को एम्पॉवर इंडिया कॉन्फ्रेंस के दौरान बेंगलुरु में एक रैली की गई थी.
-भारत एक्सप्रेस
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