लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
जस्टिस विक्रम नाथ और एससी शर्मा की बेंच ने कहा यह ऐसा विषय नहीं, जिसके लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जाए. याचिकाकर्ता को चुनाव आयोग के सामने अपनी बात रखनी चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि हम चुनाव आयोग को आदेश नहीं दे सकते है. जिस पर याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि हम चुनाव आयोग गए थे. पूर्व नौकरशाह ईएएस शाह और फातिमा नाम के याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में चुनाव आयोग को पीएम मोदी के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश देने की मांग की थी.
याचिका में पीएम मोदी और केंद्रीय मंत्री ठाकुर पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया था. कहा गया था कि चुनाव आयोग इस पर कार्रवाई में नाकाम रहा है. एक दूसरी याचिका में पीएम मोदी को 6 साल के लिए चुनाव से अयोग्य ठहराने की मांग की गई थी.
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. यह याचिका फातिमा नामक महिला ने दायर की थी. फातिमा में याचिका में चुनाव आयोग को जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 6 साल के लिए चुनाव से अयोग्य घोषित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
याचिकाकर्ता के वकील सुनील कुमार अग्रवाल ने प्रधानमंत्री द्वारा एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते समय आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था.
याचिकाकर्ता की माने तो 21 अप्रैल 2024 को पीएम ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए प्रचार के दौरान राजस्थान के बांसवाड़ा में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित किया था. आरोप है कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में ऐसे बयान दिए जिनका उद्देश्य स्पष्ट रूप से समूहों के बीच दुश्मनी पैदा करना था.
याचिका में चुनाव आयोग को आदर्श आचार संहिता के मुताबिक, पीएम के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश देने की भी मांग की गई है. याचिका में कहा गया था कि विभिन्न संगठनों और कई लोगों ने चुनाव आयोग के पास शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन आयोग उनके खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई करने में विफल रहा है.
याचिका में प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए बयान को भड़काऊ और गैरकानूनी बताया गया था. याचिकाकर्ता के मुताबिक, प्रधानमंत्री का संबोधन आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है.
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए चुनाव आयोग के समक्ष जाने को कहा था. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि याचिकाकर्ता पहले ही मान बैठा है कि आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हुआ है, जबकि सुप्रीम कोर्ट भी किसी भी शिकायत पर विशेष दृष्टिकोण अपनाने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश जारी नहीं कर सकता.
हाईकोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता पहले ही चुनाव आयोग से संपर्क कर चुका है और आयोग उसकी शिकायत पर स्वतंत्र विचार कर सकता है. वही चुनाव आयोग की ओर से पेश अधिकारी ने कहा था कि शिकायत का संज्ञान लेकर कार्रवाई की जाएगी और इस संबंध में जरूरी आदेश पारित किया जाएगा.
-भारत एक्सप्रेस
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