वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा हाल ही में पेश किए गए बजट 2024 से संबंधित एक प्रावधान को लेकर उस वक्त सोशल मीडिया पर लोगों में नाराजगी फैल गई, जब इस तरह की बात सामने आने लगीं कि सभी विदेश जाने वाले यात्रियों के लिए अब टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (Tax Clearance Certificate) दिखाना अनिवार्य कर दिया गया है. इस बात के फैलते ही इस नीति की चौतरफा आलोचना होने लगी, जिसके बाद रविवार (28 जुलाई) को सरकार को स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 23 जुलाई को पेश किए गए बजट 2024-25 में काला धन अधिनियम, 2015 का हवाला देते हुए टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट प्राप्त करने का प्रस्ताव रखा गया था.
इसके बाद ऐसी खबरें सामने आने लगीं कि अगर कोई व्यक्ति विदेश जा रहा है तो उसे टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट दिखाना जरूरी होगा. इसके बाद लोगों ने केंद्र सरकार के इस फैसले की चौतरफा आलोचना शुरू कर दी थी.
सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे कठोर कानून बताने के साथ कहा कि इससे आम लोगों के साथ कारोबारी लोगों के बीच में मायूसी और नाराजगी है और यह कदम सरकार को नुकसान पहुंचा सकता है. इसके बाद सरकार ने इस संबंध में स्पष्टीकरण जारी किया है.
केंद्र सरकार ने रविवार को स्पष्ट किया कि टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट केवल उन लोगों के लिए अनिवार्य होगा, जिन पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप है या जिन पर पर्याप्त टैक्स बकाया है.
वित्त विधेयक 2024 में वित्त मंत्रालय ने अधिनियमों की सूची में काला धन अधिनियम, 2015 का संदर्भ जोड़ने का प्रस्ताव दिया है. इस अधिनियम के तहत किसी भी व्यक्ति को अपनी वित्तीय देनदारियों को चुकाने और टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट प्राप्त करने की जरूरत होती है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सरकार ने स्पष्ट किया कि प्रस्तावित संशोधन सभी पर लागू नहीं है. मंत्रालय ने बताया, ‘प्रस्तावित संशोधन में सभी निवासियों को टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट प्राप्त करने की जरूरत नहीं है.’
सरकार ने स्पष्ट किया, आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 230 के अनुसार हर व्यक्ति को टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट प्राप्त करना अनिवार्य नहीं है. यह केवल कुछ व्यक्तियों के मामले में जरूरी है, जिनके संबंध में ऐसी परिस्थितियां मौजूद हैं, उनके लिए इस सर्टिफिकेट की जरूरत होगी.
वित्त मंत्रालय ने कहा कि आयकर विभाग की 2004 की अधिसूचना में स्पष्ट किया गया था कि टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट केवल भारत में रहने वाले लोगों के लिए जरूरी है, वह भी केवल कुछ परिस्थितियों में.
गंभीर वित्तीय अनियमितताओं में संलिप्तता: अगर किसी व्यक्ति पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का संदेह है और आयकर अधिनियम या संपत्ति कर अधिनियम के तहत जांच के लिए उनकी मौजूदगी महत्वपूर्ण है और अगर यह संभावना है कि उनके खिलाफ टैक्स की मांग की जाएगी, तो उन्हें टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट प्राप्त करना होगा.
प्रत्यक्ष कर बकाया: अगर किसी व्यक्ति पर 10 लाख रुपये से अधिक का प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) बकाया है, जिस पर किसी भी प्राधिकारी द्वारा रोक नहीं लगाई गई है, तो उन्हें टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट प्राप्त करना होगा.
आयकर विभाग ने कहा है कि किसी व्यक्ति से टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए तभी कहा जा सकता है, जब उसके लिए कारण दर्ज किए गए हों. इसके लिए प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त या मुख्य आयकर आयुक्त से मंजूरी भी जरूरी है.
अधिसूचना में कहा गया है कि सर्टिफिकेट जारी करने वाले आयकर प्राधिकारियों को यह बताना होगा कि संबंधित व्यक्ति पर आयकर अधिनियम या संपत्ति कर अधिनियम, 1957 या उपहार कर अधिनियम, 1958, या व्यय कर अधिनियम, 1987 के अंतर्गत कोई देयता नहीं है.
मालूम हो कि भारत में लगभग 2.2 प्रतिशत लोग ही इनकम टैक्स भरते हैं और इस नियम के आने से लोगों में उत्साह की जगह निराशा आएगी. जानकारों का कहना है कि ये नियम ठीक नहीं है और लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे.
जानकारों की राय में इस तरह का कानून अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक तो होगा ही इससे भारतीय लोकतंत्र और संविधान द्वारा आम नागरिक को जो व्यक्तिगत आजादी और स्वतंत्रता दी गई है उस पर हमला होगा.
-भारत एक्सप्रेस
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