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UP Politics: सपा से नफरत करते हैं लोग, उन्हें सत्ता में आने में लगेंगे 10 साल- ओम प्रकाश राजभर का दावा

UP Politics: उत्तर प्रदेश में उपचुनाव के बाद एक बार फिर नए सिरे से बयानबाजी शुरु हो गई है. इस बार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को लेकर एक बयान दिया है. इसके साथ ही उन्होंने समाजवादी पार्टी को लेकर एक बड़ा दावा भी किया है.

ओम प्रकाश राजभर अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र के सिझौली में आयोजित एक कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. अपने संबोधन में ओम प्रकाश राजभर ने कहा, “समाजवादी पार्टी से लोग नफरत करते हैं. नाराजगी होती तो लोग मान भी जाते. उनके जो रवैए रहे हैं, उससे पूरा प्रदेश अवगत हो चुका है. हम तो कह रहे हैं कि अभी उन्हें सत्ता में आने के लिए कम से कम 10 साल तक इंतजार करना पड़ेगा.”

सपा से गठबंधन टूटने के बाद ओमप्रकाश राजभर समाजवादी पार्टी पर लगातार हमलावर रहे हैं. इस बार सपा के साथ उन्होंने शिवपाल सिंह यादव पर भी निशाना साधा है.

शिवपाल पर भी दिया बयान

ओम प्रकाश राजभर ने शिवपाल सिंह यादव पर निशाना साधते हुए कहा, “वे चाचा-भतीजा हैं, तो परिवार कभी भी एक हो सकता है. भावी राजनीति में शिवपाल यादव की कोई भूमिक नहीं है. हम पूरे यूपी के विषय में बता दें लोग नफरत करते हैं. उनके रवैए से पूरा प्रदेश अवगत हो चुका है. हम तो कह रहे हैं कि उनको अभी 10 साल तक इंतजार करना पड़ेगा. वे 10 साल के बाद फिर सुनेंगे.” ओम प्रकाश राजभर इससे पहले भी कई बार अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी को नसीहत दे चुके हैं.

सपा के संगठन को लेकर भी बोले ओपी राजभर

ओपी राजभर ने समाजवादी पार्टी को लेकर भी अपना बयान दिया है. सपा के संगठन को लेकर ओपी राजभर ने कहा, “ये तो अखिलेश यादव बता सकते हैं. उन्हें नुकसान होगा. सपा से उबे हुए, नाराज और नाखुश लोग प्रसपा में गए थे. लेकिन प्रसपा का लीडर वहीं चला आया जहां से लोग नाराज थे. लेकिन कम से कम दो दर्जन नेता दो दिन के बाद हमारे साथ आ रहे हैं.”

मैनपुरी चुनाव में जीत की वजह बताया इसे

सपा से उनकी नाराजगी यहीं नहीं रुकती, बल्कि मैनपुरी चुनाव में समाजवादी पार्टी की जीत को लेकर वे आगे कहते हैं, “वे नेता कहां-कहां जाएंगे, भगवान जानें. सपा के सिंबल पर ही शिवपाल यादव चुनाव लड़े हैं. इसमें कोई नई बात नहीं है. मैनपुरी का चुनाव वो सिंपैथी में जीते हैं. पांच साल के लिए उन्हें जनता ने वोट दिया था. लेकिन इसी बीच नेताजी का निधन हो गया और उसका श्रेय इन्हें मिला.”

Rohit Rai

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