Fiji: बारहवें विश्व हिंदी सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में पुनर्संतुलन हो रहा है और “वह युग पीछे छूट गया है जब प्रगति का मानक पश्चिमीकरण को माना जाता था’’
इसके अलावा उनका कहना था कि, ‘‘अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में धीरे-धीरे व्यापक बहु-ध्रुवीयता उत्पन्न हो रही है और अगर तेजी से विकास करना है तो यह आवश्यक है कि सांस्कृतिक पुनर्संतुलन भी हो.’’
बताते चलें कि फिजी में हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा हासिल है.
हिंदी के महत्व अंतरराष्ट्रीय संबंधों के संदर्भ में बढ़ावा दिए जाने की जरूरत जताते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि भाषा न केवल पहचान की अभिव्यक्ति है बल्कि भारत और अन्य देशों को जोड़ने का माध्यम भी है
फिजी के प्रमुख शहर नांदी में फिजी सरकार और भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से आयोजित इस सम्मेलन में दुनिया भर से हिंदी के करीब 1,200 विद्वान व लेखक भाग ले रहे हैं.
तीन दिन चलने वाले सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान यहां के ‘देनाराउ कनवेंशन सेंटर’ में फिजी के राष्ट्रपति रातू विलीमे कटोनिवेरी के अलावा भारत सरकार में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा तथा विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन भी मौजूद थे. इस मौके पर जयशंकर और राष्ट्रपति कटोनिवेरी ने संयुक्त रूप से एक डाक टिकट भी जारी किया.
उद्घाटन सत्र में पहले फिजी के प्रधानमंत्री सित्विनी राबुका को मौजूद रहना था, लेकिन भारतीय अधिकारियों ने बताया कि यहां संसद सत्र के चलते उनकी जगह राष्ट्रपति ने उद्घाटन सत्र में भाग लिया. राबुका हाल ही में प्रधानमंत्री बने हैं और 55 सदस्यीय संसद में उनके पास विपक्ष के मुकाबले केवल एक मत अधिक है.
वह युग पीछे छूट गया है जब प्रगति का मानक पश्चिमीकरण था
जयशंकर ने कहा, ‘‘अधिकांश देशों ने पिछले 75 वर्षों में स्वतंत्रता हासिल की और यह उसका ही परिणाम है कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में एक पुनर्संतुलन हो रहा है.’’ उन्होंने कहा कि शुरुआत में इसका स्वरूप आर्थिक था, लेकिन जल्द ही इसका एक राजनीतिक पहलू भी सामने आने लगा है.
उन्होंने कहा कि इस प्रवृत्ति से धीरे-धीरे व्यापक बहु-ध्रुवीयता उत्पन्न हो रही है और अगर तेजी से विकास करना है तो यह आवश्यक है कि सांस्कृतिक पुनर्संतुलन भी हो. जयशंकर ने कहा, “वह युग पीछे छूट गया है जब प्रगति का मानक पश्चिमीकरण को माना जाता था’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को बताया दूरदर्शी
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भाषा और संस्कृति के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “भारत ने आजादी के 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं और अब हम अगले 25 वर्ष के लिए एक महत्वाकांक्षी पथ पर आगे बढ़ रहे हैं जिसे हमने अमृतकाल कहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व का ही परिणाम है कि हम एक नए भारत का निर्माण होता देख रहे हैं.’’
इसे भी पढ़ें: Pakistan Crisis: पाकिस्तान के लिए मदद के सारे रास्ते बंद, बेरोजगारी और भुखमरी की कगार पर मुल्क
भारत का बढ़ेगा अंतरराष्ट्रीय महत्व
विदेश मंत्री ने विश्वास जताया कि आने वाले समय में भारत का अंतरराष्ट्रीय महत्व और बढ़ेगा तथा इस संदर्भ में भाषा और संस्कृति की और भी ज्यादा अहमियत होगी. हिंदी के प्रसार और प्रचार पर जोर देते हुए जयशंकर ने कहा कि ऐसी कई भाषाएं और परंपराएं जो औपनिवेशिक युग के दौरान दबा दी गई थीं, अब एक बार फिर वैश्विक मंच पर उभर रही हैं.
इसके आगे बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि, ‘‘ऐसे में यह जरूरी है कि विश्व को सभी संस्कृतियों और समाजों के बारे में अच्छी जानकारी हो और इसी लिए हिंदी सहित विभिन्न भाषाओं के शिक्षण और प्रयोग को व्यापक बनाना बहुत जरूरी है.’’ उद्घाटन समारोह को राष्ट्रपति कटोनिवेरी के अलावा भारतीय मंत्रियों अजय मिश्रा एवं वी मुरलीधर ने भी संबोधित किया.
तिलक का यह टी20 इंटरनेशनल में पहला शतक था, जो उन्होंने अपने 19वें मैच में…
सैंटिगो मार्टिन करीब 1368 करोड़ के चुनावी इलेक्ट्रॉल बॉन्ड खरीदने की वजह से चर्चा में…
Surya Gochar 2024: सूर्य देव वृश्चिक राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं. ऐसे में…
Pakistani Dramas Copied From Bollywood: हम आपको उन फेमस पाकिस्तानी ड्रामों के बारे में बताएंगे,…
केंद्रीय प्रदूषण एवं नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार राजधानी दिल्ली में गुरुवार सुबह 7:15 बजे…
Kartik Purnima 2024 Date: कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का विशेष…