21 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क में पहली बार विश्व ध्यान दिवस का आयोजन किया गया. यह आयोजन भारत के स्थायी मिशन ने किया, जिसमें ‘वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए ध्यान’ पर एक विशेष सत्र आयोजित किया गया. इस ऐतिहासिक अवसर पर आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने 600 से अधिक उत्साही प्रतिभागियों के साथ एक ध्यान सत्र का संचालन किया.
विश्व ध्यान दिवस को भारत की एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है, क्योंकि यह भारत की पहल पर ही मनाया गया है. इससे पहले, भारत ने 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाया था. अब 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस मनाने की शुरुआत की गई है, जो शीतकालीन संक्रांति के दिन पड़ता है. भारतीय परंपरा में यह समय अत्यधिक शुभ माना जाता है, और इसे ध्यान तथा आंतरिक चिंतन के लिए उपयुक्त समय माना जाता है.
इस कार्यक्रम में श्री श्री रविशंकर ने मुख्य भाषण दिया और ध्यान के महत्व को समझाया. उन्होंने कहा कि आज ध्यान किसी लग्जरी का हिस्सा नहीं, बल्कि यह मानसिक स्वच्छता का एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया है. जैसे दांतों की सफाई जरूरी है, वैसे ही मानसिक स्वच्छता के लिए ध्यान आवश्यक है. उन्होंने यह भी बताया कि ध्यान हमें मानसिक संतुलन बनाए रखने, आक्रामकता और तनाव से बचने, और जीवन में अधिक फोकस्ड रहने में मदद करता है.
श्री श्री रविशंकर ने ध्यान के मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभावों पर भी जोर दिया. ध्यान से तनाव कम होता है, चिंता नियंत्रित होती है, और एकाग्रता में वृद्धि होती है. इसके अलावा, ध्यान नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद करता है.
6 दिसंबर 2024 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस घोषित किया. इस प्रस्ताव को पारित करने में भारत की अहम भूमिका रही, और इसे वैश्विक शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना गया है.
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