विश्लेषण

लखनऊ से वाराणसी तक कैसे उत्तर प्रदेश के शहर भारत की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी क्रांति का नेतृत्व कर सकते हैं

शहरों के लिये व्यापक इलेक्ट्रिक मोबिलिटी योजनाओं के विकास से स्थानीय स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में वृद्धि हो सकती है और पूरे उत्तर प्रदेश में शहरी परिवहन प्रणालियों को प्रदूषणमुक्त बनाने की मुहिम में तेजी लायी जा सकती है।

इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के पंजीकरण के मामले में उत्तर प्रदेश पूरे देश में सबसे आगे है। इस साल जनवरी से जुलाई के बीच करीब 20 लाख नये वाहनों का पंजीकरण हुआ। इनमें से लगभग 7.5% इलेक्ट्रिक वाहन थे। यह आंकड़ा, इसी दौरान, भारत में पंजीकृत कुल वाहनों में से इलेक्ट्रिक वाहनों की 6.4% हिस्सेदारी से करीब एक प्रतिशत ज्यादा है। इस बढ़ोत्तरी की वजह से उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है। उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति ( ईवीएमएमपी) 2022 लागू किये जाने के बाद इसमें खासतौर पर तेजी आयी है।

सरकार दे रही इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा

भारत सरकार फास्टर एडोप्शन एण्ड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक वीकल्स (फेम) और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) जैसी योजनाओं के जरिये इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है। इस प्रयास में राज्य सरकारें भी सहयोग कर रही हैं। देश के 33 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकारें या तो अपने यहां इलेक्ट्रिक वाहन नीति तैयार कर रही हैं, या फिर उन्हें लागू कर चुकी हैं। यह नगरीय निकायों की सरकारों के लिये भी इस मुहिम में शामिल होने का अच्छा अवसर है। उनके पास इस सिलसिले में योजना बनाने और नियामक प्रणालियां तैयार करने का मौका है।

इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के मामले में भारत के शहर अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। देश के अनेक नगरों में पंजीकृत हो रहे नए वाहनों में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा है। वर्ष 2022 में भारत के कुल वाहनों में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की हिस्सेदारी 4.75% थी, वहीं गुजरात के सूरत में इसकी हिस्सेदारी 12.25% और दिल्ली, बेंगलुरु तथा पुणे में लगभग 10% थी। यह शहरी क्षेत्रों में ईवी के आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों को प्रमाणित करता है। मजबूत विद्युत ग्रिड क्षमता वाले शहरी इलाकों में चार्जिंग का एक घाना बुनियादी ढांचा बनाया जा सकता है। ईवी बेड़े की कम परिचालन लागत से कमर्शियल अथवा व्यावसायिक बेड़े को लाभ होता हैं और ईवी के शून्य टेलपाइप उत्सर्जन से वायु प्रदूषण को कम करने में योगदान मिलता है।

उत्तर प्रदेश पर नजर डालें तो कानपुर में कुल पंजीकृत वाहनों में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 14.8% रिकॉर्ड की गई है। इसके बाद लखनऊ (11.2%), वाराणसी ( 10.4%), गाज़ियाबाद (9.01%) और प्रयागराज (8.5%) की बारी आती है। इलेक्ट्रिक तिपहिया गाड़ियों के पंजीकरण में भी उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य है और लगभग 750 इलेक्ट्रिक बसों के बेड़े के साथ यह राज्य देश के शीर्ष प्रदेशों में शामिल हो गया है। हालांकि कमर्शियल अथवा व्यावसायिक इलेक्ट्रिक दो पहिया वाहनों, पैसेंजर कार तथा अन्य व्यावसायिक वाहनों की हिस्सेदारी के मामले में उत्तर प्रदेश उतनी प्रगति नहीं कर सका है।

उत्तर प्रदेश में ईवी इकोसिस्टम को मजबूत किया जा सकता है

नगरीय स्तर पर कदम उठाए जाने से उत्तर प्रदेश में ईवी इकोसिस्टम को मजबूत किया जा सकता है। इसके अलावा स्कूटर, कार तथा व्यावसायिक वाहनों (जिनकी संख्या कुल पंजीकृत वाहनों में सबसे ज्यादा होती है) के विद्युतीकरण में तेजी लाई जा सकती है। हालांकि सुनियोजित और केंद्रित शहरी योजना में क्षेत्रीय स्तर पर इलेक्ट्रिक परिवहन योजनाओं की मौजूदगी जरूरी होती है। इन योजनाओं में इलेक्ट्रिक वाहन रूपांतरण के स्पष्ट उपायों के साथ-साथ अल्पकालिक, मध्यकालिक और दीर्घकालिक लक्षणों और गतिविधियों को पूरी तरह स्पष्ट किया जाता है। लखनऊ के लिए कंप्रिहेंसिव इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्लान (सीईएमपी) को नीति आयोग तथा एशियन डेवलपमेंट बैंक की मदद से तैयार किया गया है। इस योजना में इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने के सिलसिले में तेज़ी लाने के लिहाज से नगर निगमों तथा अन्य स्थानीय प्राधिकरणों द्वारा कार्रवाई के अनेक क्षेत्रों को रेखांकित किया गया है। उत्तर प्रदेश ईवीएमएमपी 2022 का लक्ष्य उत्तर प्रदेश के अन्य 16 नगर निगमों में सीईएमपी को विकसित करना है। इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के लिए नगरीय स्तर पर योजना तथा क्रियान्वयन के लिहाज से यह कदम गेम चेंजर साबित हो सकता है।

स्थानीय सरकारों की भूमिका महत्वपूर्ण

एक सघन और ठोस इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर नेटवर्क का विकास करके उसे जनता को समर्पित करने स्थानीय सरकारों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। यह जरूरी है कि इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को सड़कों के नेटवर्क के साथ जोड़ा जाए। साथ ही साथ निजी तथा सार्वजनिक पार्किंग क्षेत्र में भी यह सुविधा उपलब्ध हो। इसके लिए नगरीय स्तर पर बिल्डिंग बायलों में जरूरी बदलाव किए जाएं जिसके जरिए यह सुनिश्चित हो कि हर नए निर्माण में चार्जिंग की सुविधा अनिवार्य रूप से मौजूद हो। वे इस दिशा में कुछ अन्य प्रक्रियाएं भी शुरू कर सकते हैं, जैसे कि सार्वजनिक भूमि और पार्किंग क्षेत्र में निजी-सार्वजनिक भागीदारी के तहत सार्वजनिक चार्जिंग व्यवस्था के लिए निविदा प्रक्रिया को अमल में लाना, बिजली कनेक्शन हासिल करने में तेजी लाना और इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देना, इत्यादि।

शहरी सरकारें विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम चलाकर इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा दे सकती हैं। इन कार्यक्रमों में इलेक्ट्रिक वाहनों के फायदे के साथ सरकारी वाहनों के बेड़े के विद्युतीकरण का भी उल्लेख हो। साथ ही साथ स्वैच्छिक प्रतिज्ञाओं के जरिए व्यावसायिक वाहनों के विद्युतीकरण को बढ़ावा दिया जाए और सार्वजनिक परिवहन के साधनों तथा अंतिम गंतव्य तक पहुंचाने वाली वाहन सेवाओं के विद्युतीकरण की दिशा में काम किया जाए। तेजी से आगे बढ़ते इलेक्ट्रिक वाहन इकोसिस्टम के अंदर रोजगार के अवसर और आर्थिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारें इलेक्ट्रिक वाहन इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवा प्रणालियों को गठित करने के लिए स्टार्टअप और स्थापित कंपनियों को आकर्षित कर सकती हैं। वे युवाओं, बेरोजगारों तथा अल्प बेरोजगारी से जूझ रहे कामगारों को प्रशिक्षण भी दे सकते हैं और उन्हें इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में रोजगार हासिल करने के लिए जरूरी क्षमताओं से लैस कर सकते हैं। शहरी शासन, सतत और सर्कुलर अर्थव्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी की रीसाइकलिंग के संबंध में जागरूकता बढ़ाने और दिशानिर्देश तय करने में महत्वपूर्ण 3 सकते हैं।

लखनऊ में इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग की व्यवस्था

लखनऊ के लिए तैयार किए गए सीईएमपी में इनमें से कई पहलुओं को शामिल किया गया है। इसमें इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने और पूरे शहर में इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के मूलभूत ढांचे को लेकर विस्तृत रोड मैप उपलब्ध कराया गया है। लिहाजा, उत्तर प्रदेश के अन्य शहर ई-मोबिलिटी रूपांतरण के लिए अपने हिसाब से तैयार किए गए उपायों से युक्त सीईएमपी विकसित करके महत्वपूर्ण फायदे हासिल कर सकते हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार इलेक्ट्रिक वाहन व्यवस्था के संचालन के प्रति कुशल बनने के उद्देश्य से स्थानीय अधिकारियों के लिए सघन क्षमता निर्माण कार्यक्रम लागू करने पर भी विचार कर सकती है। नगर निगम या अन्य स्थानीय निकाय इलेक्ट्रिक वाहन सुविधाओं तथा ई-मोबिलिटी की जिम्मेदारी संभाल रहे अधिकारियों के बीच समन्वय बनाने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा सब्सिडी के वितरण और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी स्वीकृतियों की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सिंगल विंडो प्रणाली लागू किए जाने से बाधाएं दूर होंगी और क्रियान्वयन में तेजी आएगी।

उत्तर प्रदेश की इलेक्ट्रिक वाहन पॉलिसी में नगरीय स्तर के कार्य योजना पर ध्यान दिया गया है जो इसे अन्य राज्यों की ऐसी ही नीतियों से अलग बनाता है। उत्तर प्रदेश में व्यापक इलेक्ट्रिक मोबिलिटी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए तकनीकी और शासन-विधि क्षमता का निर्माण करके वाहनों की सभी श्रेणियों में इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने वाले अग्रणी राज्य के रूप में उभरने की क्षमता है।

चैतन्या कानूरी

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